place to Visit Near Patna: पटना: नए साल में सपने पूरे करने के लिए बाबा हरिहरनाथ समेत इन मंदिरों में माथा टेकें

place to Visit 2023 Near Patna: नए साल में नई ऊंचाइयां, नई कामयाबी हासिल करने के लिए लोग साल के पहले दिन भगवान की शरण में जाते हैं। पटना एवं इसके आसपास कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनसे लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है। इन मंदिरों में पहली जनवरी की सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग जाती है। कहा जाता है कि मंदिरों में पूजा-अर्चना करने से श्रद्धालु की मुराद पूरी हो जाती है।

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पटना सिटी स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर, जो शक्तिपीठ है

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • पटना सिटी में बड़ी पटन देवी में सती माता की दाहिनी जांघ गिरी
  • हरिहर नाथ मंदिर में भगवान शिव और भगवान विष्णु एक साथ विराजे हैं
  • गोपालगंज स्थित थावे में कामाख्या से चलकर आईं थीं माता

Temple to Visit Near Patna: पटना और आसपास के क्षेत्रों में कई प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। इन जगहों पर साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन नए साल पर यहां हजारों की संख्या में लोग भगवान का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। इनमें से एक मंदिर है पटना सिटी स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर। देश के 52 शक्तिपीठ में से एक यह है। देवी भागवत और तंत्र चूड़ामणि के मुताबिक माता सती की दाहिनी जांघ इस जगह गिरी थी। इस वजह से यह शक्तिपीठ है। यहां माता के दो स्वरूप हैं। इन्हें छोटी पटन देवी और बड़ी पटन देवी के नाम से जाना जाता है।

बड़ी पटना देवी को लेकर भगवती पटनेश्वरी के नाम से भी जाते हैं। छोटी पटन देवी अगमकुआं में स्थापित है। बड़ी पटन देवी में महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली की भी प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि यहां मां के दर्शन से ही सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।

पटना से 60 किमी दूर है बखोरापुर वाली का मंदिरराजधानी पटना से 60 किलोमीटर दूर भोजपुर में एक प्रसिद्ध मंदिर है। भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के बखोरापुर में मां काली का मंदिर है। मंदिर के महंत श्याम बाबा का कहना है कि 1862 में यह छोटा सा मंदिर था। यहां देवी पिंडी रूप में स्थापित हैं। फिर 2003 में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। इसमें मां की प्रतिमा स्थापित की गई। यहां हर दिन सैकड़ों और खास मौकों पर हजारों श्रद्धालु आते हैं। पटना या आसपास के किसी भी क्षेत्र से ट्रेन, निजी वाहन या परिवहन निगम के बस के माध्यम से आप भोजपुर पहुंच सकते हैं।

सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ में पूजा से मिलता है मोक्षपटना से 20 किलोमीटर दूर सारण जिले के सोनपुर में बाबा हरिहरनाथ मंदिर है। यह गंडक नदी के किनारे बना है। मंदिर में श्रीहरि और महादेव स्थापित हैं। एक ही गर्भगृह में दोनों भगवान हरिहर कहलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्रीहरि ने यहां पर गज के प्राणों की रक्षा करने के लिए ग्राह का उद्धार किया था। यहां गज और ग्राह के युद्ध स्थल पर विष्णु और शिव का मंदिर है। खासतौर पर कार्तिक में यहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। विष्णु ने ग्राह का वध करके उसे मोक्ष दिया था। इस वजह से इस मंदिर का मोक्षद्वार भी कहते हैं। एक विशेषता यह भी है कि यह जगह शैव और वैष्णव मत के परम संयोग का है। मंदिर को राजा मान सिंह ने बनवाया था। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग है। भगवान विष्णु की प्रतिमा है।

थावे में मां ने दिया था दर्शनपटना से 147 किलोमीटर दूर गोपालगंज जिला अंतर्गत थावे मंदिर है। मां थावे वाली को सिंहासनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी भी लोग कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भक्त रहषु के बुलाने पर असम के कामाख्या स्थान से चलकर मां यहां आई थीं। मां काली कामाख्या से चलकर कोलकाता स्थित दक्षिणेश्वर मंदिर, पटना में पटन देवी मंदिर, फिर थावे पहुंची थीं। यहां उन्होंने रहषु के सिर को विभाजित कर उसको दर्शन दिया था। मंदिर सिद्धपीठ स्थान है। ऐसी कथा है कि राजा मनन सिंह के राज्य में अकाल पड़ गया था। लोग खाने के लिए तरस रहे थे। यहां रहने वाला रहषु मां कामाख्या का सच्चा भक्त था। रहषु दिन में घास काटता था और रात में उससे अन्न निकल जाता था। इससे लोगों को अन्न मिलने लगा था।

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