Patna News: Salute to the Courage! जन्म से रूपम के दोनों हाथ नहीं, पैरों से लिख रही पीएचडी का कोर्स

foot Writing Phd Course Work in Bihar: बिहार को प्रतिभा एवं हौसलों का धनी कहा जाता है। इस बात को समय-समय पर यहां के युवक-युवती साबित करते रहे हैं। अब एक दिव्यांग महिला अपने पैर से पीएचडी का कोर्स वर्क लिख रही है। उसके पति एवं एक साल की बेटी केंद्र के बाहर हैं। परीक्षा हॉल में उपस्थित परीक्षार्थी एवं अध्यापक रूपम कुमारी के हौसले को देखकर स्तब्ध रह गए हैं। बचपन से ही रूपम के दोनों हाथ नहीं हैं। यह बचपन से पैरों से लिखकर अपनी परीक्षाएं देती आ रही है।

पैर से पीएचडी का कोर्स वर्क लिखती रूपम

मुख्य बातें
  • पूर्णिया की रूपम कुमारी पीएचडी 2020 का कोर्स वर्क लिख रही
  • मधेपुरा स्थित टीपी कॉलेज दी परीक्षा
  • रूपम के साथ उसके पति एवं एक साल की बेटी भी आई थी केंद्र पर


Bihar News: हौसला हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता। अपने हौसलों से मंजिल पाने वाले लोग दूसरों के लिए भी नजीर बन जाते हैं। ऐसी ही नजर पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड अंतर्गत पुरनदाहा की रहने वाली रूपम कुमारी पेश कर रही है। बचपन से रूपम के दोनों हाथ नहीं हैं। इसके बावजूद ने रूपम ने हार नहीं मानी और पैर से लिखना शुरू किया। रूपम भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू) से पीएचडी कर रही है। इन्होंने शनिवार को मधेपुरा स्थित ठाकुर प्रसाद कॉलेज (टीपी कॉलेज) में पीएचडी-2020 के कोर्स वर्क की परीक्षा दी है।

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परीक्षा के दौरान केंद्र के बाहर रूपम के पति सुरेंद्र प्रसाद शर्मा एवं एक साल की बेटी पीहू प्रिया थी। केंद्र के अंदर जब रूपम ने पैर से पेपर लिखना शुरू किया तो हॉल में मौजूद परीक्षार्थी कुछ देर के लिए उसे देखते रह गए। सभी ने रूपम के हौसले को सलाम किया और हौसला अफजाई की। अध्यापक भी महिला के हौसल की सराहना करने लगे।

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2009 में दी थी मैट्रिक परीक्षारूपम कुमारी ने साल 2009 में दुर्गा उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। फिर पूर्णिया स्थित महिला कॉलेज में इंटर में दाखिला लिया था। यहीं से ग्रेजुएशन की भी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद पूर्णिया कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) की पढ़ाई पूरी की। रूपम के पिता बहादुर साह हैं, जो कि व्यवसायी हैं। मां चांदनी देवी हैं। रूपम के पति निजी शिक्षक हैं।

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