Chhath 2024: पांडवों के इतिहास से जुड़ा है बिहार का यह शहर, जहां द्रौपदी ने की थी छठ पूजा

बिहार के समस्तीपुर में स्थित उजियारपुर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस जगह पर द्रौपदी ने छठ पूजा की थी, जिसके बाद से उस स्थान पर आज भी वह परंपरा कायम है और भारी संख्या में लोग उस घाट पर छठ पूजा करते हैं। जानिए इसका इतिहास।

फाइल फोटो।

Chhath 2024: बिहार के समस्तीपुर जिले के उजियारपुर प्रखंड में स्थित भगवानपुर कमला गांव का देवखाल चौर महाभारत कालीन इतिहास से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह स्थान पांडवों के लाक्षागृह कांड से संबंधित माना जाता है, जहां से पांडवों ने सुरंग के माध्यम से निकलकर जान बचाई थी। इस घटना के बाद, कार्तिक मास में द्रौपदी ने इसी घाट पर छठ पूजा की थी।

क्या है मान्यता?

स्थानीय मान्यता के अनुसार, पांडव स्थान (पांड़) में हुए लक्षागृह कांड के दौरान द्रौपदी ने देवखाल चौर के सीढ़ी घाट पर छठ पूजा की थी। कहा जाता है कि उस समय दैवीय शक्तियों के कारण इस चौर में पानी कभी नहीं सूखता था, भले ही आसपास के क्षेत्रों में सूखा पड़ा हो। यही कारण है कि कमला और आस-पास के लोग यहां छठ पर्व मनाने के लिए आते हैं।

क्या कहते हैं ग्रामीण?

गांव के निवासी प्रो. राजेश कुमार बताते हैं कि हमारे पूर्वजों से सुना गया है कि पांडवों ने यहीं से भागकर अपनी जान बचाई थी। द्रौपदी ने यहां पर छठ पूजा की थी। उन्होंने यह भी बताया कि देवखाल चौर की मिट्टी उर्वरा शक्ति से भरी हुई है और यहां जयमंगला स्थान भी है, जो केवल बिहार में दो जगहों पर स्थित है। उनका कहना है कि इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व है और इसे एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

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