Support of the voiceless in Patna: पटना में बेजुबानों की जिंदगी बचा रहा यह शख्स, अपने वेतन का 70 प्रतिशत इनके रख-रखाव पर कर रहा खर्च

Care of The Homeless in Patna: राजधानी में एक युवक बेजुबानों के लिए देवता बना गया है। वह लावारिस कुत्तों का इलाज कराता है। उन्हें आश्रय देता है। इसके लिए युवक ने किराए पर दो फ्लैट तक लिए हुए हैं। अपनी सैलरी का बड़ा हिस्सा इस काम पर खर्च रहा है।

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पटना में बेजुबानों की जिंदगी बचा रहा यह शख्स

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • पटना के अतुल्य गूंजन एवं उनकी टीम बेजुबान जानवरों की कर रही सेवा
  • बीमार कुत्तों की करते हैं देखभाल एवं देते हैं खाना
  • कुत्तों को आश्रय देने के लिए किराए पर ले रखे हैं दो फ्लैट

Patna News: कोरोना काल में लोगों का असल मानवीय चेहरा सामना आया। जब अपनों को अपने ही छोड़ दे रहे थे। ऐसे में शहर का एक युवा बेजुबान जानवरों का हमदर्द बना है। खासतौर पर कुत्तों के लिए वह मसीहा है। इस युवक का नाम है अतुल्य गुंजन। अतुल्य एवं इनकी टीम निराश्रित एवं बीमार कुत्तों का इलाज करवाती है। इन्हें आश्रय भी दिया जाता है। इसके लिए अतुल्य ने किराए पर दो फ्लैट ले रखे हैं, जहां यह बीमार एवं निराश्रित कुत्ते रहते हैं।

उनके इस काम में उनकी कंपनी की सहकर्मी मोनालिसा भी सहयोग करती हैं। अतुल्य गुंजन का कहना है कि अब तक वह कई कुत्तों का इलाज कराकर उसे स्वस्थ कर चुके हैं। अभी उनके पास 12 कुत्ते हैं, जिनका इलाज चल रहा है। इनमें से एक कुत्ता अंधा है। इस अंधे जर्मन शेफर्ड कुत्ते को पटना वेटनरी कॉलेज के गेट में बांधकर कोई चला गया था। एक कुत्ते के शरीर का पिछला अंग काम नहीं करता। उन्होंने बताया है कि इनमें से तीन कुत्ते विदेशी नस्ल के हैं। सड़क हादसे के शिकार हुए कुत्तों को भी वह अपने घर लाकर उसका इलाज करवाते हैं। इस काम की शुरुआत पांच से साल पहले की थी। उस वक्त उनके सामने कुत्ते के तीन छोटे बच्चों की मां सड़क दुर्घटना में मर गई थी।

कुत्ते के तीनों बच्चों को ले आए थे घर

सड़क हादसे के बाद वह कुत्ते के तीनों बच्चों को अपने घर ले आए थे। यहीं से उनकी मुहित शुरू हो गई। अब अतुल्य शहर में बीमार, लावारिस एवं सड़क हादसे के शिकार हुए कुत्ते की जानकारी मिलने पर उसे ले आते हैं और उसका इलाज करवाते हैं। अतुल्य ने बताया कि बीमार कुत्तों को रखने के लिए उन्होंने अनीसाबाद की किसान कॉलोनी में फ्लैट ले रखा है। अब वह शहर में ही एक बड़ा सा मकान बनाना चाहते हैं, जहां वह निराश्रित जानवरों को रखेंगे।

दोस्तों और परिजनों का मिलता है सहयोग

अतुल्य ने बताया कि वह वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी में काम करते हैं। उनके मुताबिक वह अपनी सैलरी का 70 प्रतिशत हिस्सा इन निराश्रित कुत्तों की देखभाल में खर्च कर देते हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें अपने दोस्तों और परिजनों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। अब तक उन्हें इस काम के लिए कहीं से कोई फंड नहीं मिला है। अहम बात है कि किसी भी नस्ल के कुत्ते के वैक्शीनेशन से उसकी बीमारी तक का वह ख्याल रखते हैं। सभी कुत्तों का वह वैक्शीनेशन कराते हैं, जिससे किसी तरह की बीमारी नहीं फैले। अतुल्य की साथी मोनालिसा का कहना है कि कुत्तों को बच्चों की तरह ही संभालना होता है। अब यह रूटीन में शामिल हो गया है।

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