Buxar: आज पंचकोशी परिक्रमा मेला का आखिरी दिन, दूर-दूर से लिट्टी चोखा खाने के लिए आते हैं लोग

बक्सर की फेमस पंचकोशी परिक्रमा मेला का आज आखिरी दिन है। यह परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। पांच दिन चलने वाली पंचकोशी परिक्रमा रविवार को समाप्त हो रही है। इस आयोजन में दूर-दूर से लोग लिट्टी चोखा खाने और बनाने के लिए आते हैं। पंचकोशी परिक्रमा मेला को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।

लिट्टी चोखा

Buxar Panchkosi Parikrama Fair: बिहार के बक्सर जिले की सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा का रविवार को समापन होगा। जिसके मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के तमाम इंतजाम किए हैं। पांच दिनों तक चलने वाले पंचकोशी परिक्रमा मेला में श्रद्धालु भारी संख्या में उमड़ने लगे हैं। इसकी मान्यता भगवान राम से जुड़ी हुई है। इस परंपरा का आज भी लोग पालन कर रहे हैं। पंचकोशी यात्रा जीव के पांचों तत्व को पवित्र करती है। बक्सर शहर के पूरे इलाकों के साथ साथ किला मैदान में चारों तरफ धुआं धुआं सा नजर दिखाई देता है। हर लिट्टी चोखा का प्रसाद बन रहा होता है। नाथ बाबा घाट से लेकर अन्य घाटों पर भी यही तस्वीर देखने को मिलती है।

हर जगह दिखता है सिर्फ लिट्टी चोखा

एक श्रद्धालु ने कहा कि बिहार में बक्सर विश्वामित्र की नगरी है। बहुत दूर दूर से लोग आते हैं और यहां लिट्टी चोखा बनाकर खाते हैं। यह पुराने समय से चली आ रही परंपरा है, उसी का निर्वहन हम लोग करते आ रहे हैं। ऐसा आयोजन विश्व में कहीं नहीं होता है। यहां हर जगह केवल लिट्टी चोखा दिखाई देगा। जो नहीं आ पाते वो घर में लिट्टी चोखा बनाकर खाते हैं। वहीं एक दूसरे श्रद्धालु का कहना है कि पंचकोशी भगवान राजा रामचंद्र के साथ जुड़ा हुआ है। उन्होंने पंचकोसी में ऋषि महर्षियों से मुलाकात की थी और प्रसाद ग्रहण किया था। ऐसे में तीर्थ यात्रा पंचकोशी में भ्रमण करके भगवान राम को याद करते हैं। लोग दूर-दूर से यहां लिट्टी चोखा बनाने और खाने के लिए आते हैं। एक परंपरा का पालन किया गया है और आज भी हम उस परंपरा को जारी रख रहे हैं।

भगवान राम से जुड़ी है मान्यता

पंचकोशी परिक्रमा की मान्यता भगवान राम से जुड़ी हुई है। त्रेतायुग में भगवान राम, लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र के साथ शिक्षा ग्रहण करने के लिए बक्सर आए थे। उस वक्त बक्सर में ताड़का, सुबाहु और मारीच समेत कई राक्षसों का वध भगवान राम ने किया था। हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र के साथ यात्रा कर अलग-अलग पांच क्षेत्र में पांच ऋषियों के आश्रम पहुंचे और अलग-अलग व्यंजनों का प्रसाद ग्रहण किया था। साथ ही उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था।

End Of Feed