क्या 2030 तक बिहार की धरती पर नहीं रहेगा पीने योग्य पानी? भूतल जल के घटने से गहरा सकता है संकट

बिहार में गर्मी के शुरुआत से ही कई इलाकों में पानी की किल्लत हो रही है। वहीं दिल्ली और बेंगलुरु में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। अभी भी देश में 10 करोड़ लोगों के पास पीने के पानी का कोई ठोस सोर्स नहीं है। इसके बावजदू हर घर में पानी की बर्बादी हो रही है। ऐसे में विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर जल्दी इसका कोई पुख्ता उपाय नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में बिहार में पानी की भारी किल्लत हो सकती है, जिसका असर 40% लोगों की जिंदगी पर पडे़गा-

बिहार में 2030 तक भारी जल संकट

Bihar: भारत के बिहार राज्य को कभी जल संसाधनों से पूर्ण माना जाता था। लेकिन, अब हालात बदल रहे हैं। पटना और दक्षिण बिहार के जिलों में जमीन के अंदर पीने के पानी का स्तर बहुत तेजी से घट रहा है। ऐसे में आने वाले समय में बिहार को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। बिहार के ज्यादातर हिस्सों में 2030 तक लोगों को पानी की गंभीर समस्या से जूझना पड़ेगा। इन इलाकों में दक्षिणी जिलों को 2030 में गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा। पानी की किल्लत से पहले ही बेंगलुरु और दिल्ली सहित कई जगहों पर लोग पानी की समस्या झेल रहे हैं। ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि आने वाले दिनों में पानी की एक-एक बूंद के लिए लोगों का बुरा हाल होगा। पटना और दक्षिण बिहार के कई जिलों में जमीन के अंदर पीने वाली पानी का स्तर घटता जा रहा है।

बिहार के इन राज्यों में पानी की समस्या

हालांकि, इस साल गर्मी के शुरुआत से ही बिहार के बांका, नवााद, औरंगवाद, कैमूर, रोहता, भगलपुर, मुंगेर, लखीसराया सहित जमुई जिलों में पानी के सोर्स के सूख जाने से लोगों को पानी की कठिन परिस्थित से गुजरना पड़ा रहा है। जल विभाग के रिपोर्ट के अनुसार राज्य के किसी भी जलाशय में अब 50% पानी भी नहीं है। इनमें से केवल कैमूर में दर्गावती जलाशय में केवल 47% पानी होने का अनुमान है। इसे लेकर अधिकारियों का कहना था कि बिहार में करीब 23 जलाशय में से 16 जलाशय में 10% से भी कम पानी बचा हुआ है। वहीं 40 से ज्यादा नदियों में अब पानी नहीं है। जमीन में पानी का लेवल कम होने की वजह से हैंडपंप का पानी भी सूख चुका है। वहीं सही बारिश न होने से पानी की कमी हो रही है।

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