प्रयागराज की पहचान बन गए 'सूरज का सातवां घोड़ा' लिखने वाले डॉ. धर्मवीर भारती

प्रयागराज अपने संगम के लिए, कुम्भ मेले के लिए, आध्यात्म के लिए और पंडित जवाहर लाल नेहरू, हरिवंश राय बच्चन, अमिताभ बच्चन, संकट मोचन हनुमान मंदिर व मदनमोहन मालवीय के लिए पहचाना जाता है। लेकिन डॉ. धर्मवीर भारती का अपना अलग ही रुतबा है। यह वह शख्स हैं जिन्होंने 'गुनाहों के देवता' को साध लिया। डॉ. धर्मवीर ने ही महाभारत में अंधा युग भी खोजा -

डॉ. धर्मवीर भारती, प्रयागराज की शान

संगम नगरी प्रयागराज में महा कुम्भ का आयोजन हो रहा है। प्रयागराज को हर 12 साल में लगने वाले कुम्भ के लिए जाना जाता है। प्रयागराज तीर्थों का तीर्थ है, इसलिए प्रयागराज को तीर्थ राज कहा जाता है। प्रयागराज को गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के लिए जाना जाता है। इसके अलावा संकटमोचन हनुमान मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, अक्षयवट, द्वादश माधव, उल्टा किला आदि के लिए प्रयागराज को जाना जाता है। इसके अलावा देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, ध्यान चंद, हरिवंश राय बच्चन, अमिताभ बच्चन और शुभा मुद्गल जैसे कई नाम ऐसे हैं जिन्होंने प्रयागराज का नाम ऊंचा किया। इन सबके बीच एक ऐसे लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक प्रयागराज में जन्में, जिन पर प्रयागराज ही नहीं, उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरा देश गर्व करता है। चलिए जानते हैं उन्हीं धर्मवीर भारती के बारे में जिनकी सोच 'गुनाहों का देवता' को जन्म देती है।

धर्मवीर भारती का व्यक्तिगत जीवन

डॉ. धर्मवीर भारती ने साल 1954 में कांता भारती से विवाह किया था। इन दोनों की एक बेटी हुई, जिनका नाम परमिता रखा गया। हालांकि, कुछ ही वर्षों के बाद डॉ. धर्मवीर भारती ने पुष्पा भारती से शादी की। इस शादी से उनके दो बच्चे किंशुक भारती और बेटी प्रज्ञा भारती हुए।

शुरुआती जीवन

देश के प्रख्यात हिंदी कवि, लेखक, नाटककार और सामाजिक विचार रहे धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को हुआ था। तत्कालीन यूनाइटेड प्रोविंस (अब उत्तर प्रदेश) के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। वह कायस्थ समाज से ताल्लुख रखते थे और उनके पिता का नाम चिरंजी लाल व मां का नाम चंदा देवी था। उनके पिता का निधन जल्दी हो गया था और इसके कारण परिवार को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा। उनकी एक बहन भी थी, जिनका नाम डॉ. वीरबाला था। डॉ. धर्मवीर भारती ने साल 1946 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिंदी में MA किया। हिंदी में सबसे अधिक नंबर लाने पर यूनिवर्सिटी में उन्हें चिंतामणि घोष अवॉर्ड से भी नवाजा गया था।

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