यहीं पर यज्ञ करने के बाद ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, तीर्थों का तीर्थ है ये शहर

प्रयागराज में लगने वाले महाकुम्भ मेले में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। प्रयागराज को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है। यहीं पर यज्ञ करने के बाद ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। यहां के बारे में कहा जाता है कि यहां आने भर से ही समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। जानें प्रयागराज का सदियों का इतिहास -

तीर्थराज प्रयागराज की पूरी कहानी

प्रयागराज देश के सबसे पुराने शहरों में से एक है। पुराणों में इस शहर का जिक्र प्रयाग और तीर्थराज के रूप में हुआ है। इसे देश के समस्त तीर्थ स्थलों में से सबसे पवित्र माना जाता है। जहां पर तीन नदियों का संगम होता है, उस जगह को त्रिवेणी कहा जाता है और हिंदू मान्यता के अनुसार उस जगह की बड़ी मान्यता होती है। प्रयागराज में तो देश की तीन सबसे पुरानी और पवित्र नदियों का संगम होता है। यह शहर इन तीन नदियों के संगम पर ही बसा है, इसलिए प्रयागराज को संगम नगरी भी कहते हैं। गंगा और यमुना नदी की धाराओं को मिलते हुए यहां पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। माना जाता है कि सरस्वती नदी अदृश्य रूप में यहां पर आकर मिलती है। कहा तो यह भी जाता है कि प्रयागराज में आने भर से ही सारे पाप मिट जाते हैं। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि त्रिवेणी संगम पर स्नान का कितना महत्व होगा। चलिए जानते हैं प्रयागराज के बारे में वो सब कुछ जो आपके लिए जानना जरूरी है -

प्रयागराज के कितने नाम

हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्रयागराज तीर्थों का तीर्थ है, इसी लिए इस जगह का नाम प्रयागराज है। लेकिन प्रयागराज को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। चलिए जानते हैं प्रयागराज के अन्य सभी नाम

  • प्रयाग
  • संगम नगरी
  • तीर्थराज
  • इलाहाबाद
  • कौशाम्बी
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