महाकुंभ से पहले प्रयागराज के ‘ग्रेट नॉर्दर्न’ होटल का होगा कायाकल्प, नए कलेवर में दिखेगी ये ऐतिहासिक धरोहर

प्रयागारज के सबसे पुराने होटल ग्रेट नॉर्दन का कायाकल्प किया जा रहा है। भवन का जीर्णोद्धार पुराने जमाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों से किया जा रहा है। यह काम दिसंबर 2024 से तक पूरा होने की उम्मीद है।

Prayagraj

प्रयागराज

ब्रिटिशकाल में सन 1865 के आसपास संगम नगरी में बने सबसे पुराने ‘ग्रेट नॉर्दर्न’ होटल और बाद में नगर निगम कार्यालय में तब्दील इस 150 वर्ष से अधिक पुराने भवन का 27 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। भारतीय राष्ट्रीय कला और सांस्कृतिक धरोहर ट्रस्ट (इनटैक) की प्रयागराज इकाई के संयुक्त सचिव वैभव मैनी के मुताबिक, अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन 1896 के आसपास जब इलाहाबाद आए थे तो इसी होटल में ठहरे थे। वर्ष 1930-40 के दौरान अंग्रेज सरकार ने इस भवन को प्रशासनिक भवन में तब्दील कर दिया था।

2020 में गिर गई थी कमरे की छत

प्रयागराज की इस प्राचीन धरोहर में इतिहास के कई रोचक पन्ने समाहित हैं और जीर्णोद्धार होने के बाद महाकुंभ में आने वाले पर्यटक इसका दीदार कर सकेंगे। नगर निगम के इस भवन के जीर्णोद्धार की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। दिसंबर 2020 में इस भवन के एक हिस्से में बने कमरे की छत गिर गई थी। अधिकारियों ने पूरे भवन को गिराकर नया भवन बनाने का विचार किया, लेकिन इस प्राचीन धरोहर के बारे में पता लगाने पर इसके गर्भ में रहे कई रोचक तथ्य उजागर हुए और फिर इसका जीर्णोद्धार कर इसे संरक्षित करने का निर्णय किया गया।

ऐसे आया जीर्णोद्धार करने का विचार

प्रयागराज नगर निगम के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में सलाहकार सूरज वीएस ने बताया कि दिसंबर 2020 में नगर निगम के भवन में एक कमरे की छत गिर गई थी जिसके बाद इस पूरे भवन को गिराकर नया भवन बनाने पर विचार किया गया था। उन्होंने बताया, ‘‘फिर किसी अधिकारी के मन में आया कि इस डेढ़ सौ साल से अधिक पुराने भवन को गिराने से पहले क्यों ना पुरातत्व विभाग से राय ले ली जाए। यहीं से इस भवन के जीर्णोद्धार का सिलसिला शुरू हुआ।’’ सूरज ने बताया कि एएसआई और आईआईटी बांबे से इस भवन के बारे में परामर्श किया गया और 2020-21 में एएसआई की रिपोर्ट आई जिसमें इसे धरोहर बताते हुए इसका संरक्षण करने की सलाह दी गई।

दिसंबर 2024 तक पूरा होगा काम

नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने कहा कि यह भवन प्रयागराज की धरोहर है जिसे संरक्षित रखने की पहल की गई है। जीर्णोद्धार के बाद यह भवन अपने नए रंग रूप में लोगों को आकर्षित करेगा। प्रयागराज नगर निगम के मुख्य अभियंता सतीश कुमार ने बताया कि नगर निगम के भवन का पुनरुद्धार करने के लिए निविदा आमंत्रित की गई और मुंबई की सवानी हेरिटेज ने 27 करोड़ रुपये में पुनरुद्धार का काम हासिल किया। कुमार ने कहा कि पुनरुद्धार का काम दिसंबर 2024 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है जिसके बाद इस भवन में ‘फसॉड लाइटिंग’ लगाने की योजना है। कुम्भ मेले में आने वाले लोग इस ऐतिहासिक भवन को एक नए कलेवर में देखेंगे। यह भवन प्रयागराज के मुकुट में और एक रत्न की भांति जुड़ जाएगा।

इन चीजों से हो रहा मरम्मत कार्य

सवानी हेरिटेज के परियोजना प्रबंधक आलोक कुमार ने बताया कि नगर निगम के इस पुराने भवन का जीर्णोद्धार, पुराने जमाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से किया जा रहा और निर्माण सामग्री के लिए कई चीजें गुजरात से मंगाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि निर्माण सामग्री में सीमेंट बालू के स्थान पर चूना, सुरखी (ईंट का चूर्ण), बालू, बेल गिरि, गुड़, उड़द की दाल और मेथी से मिश्रण तैयार किया जाता है। मेथी में एंटी फंगल गुण होते हैं जबकि चूना, उड़द की दाल, गुड़ और बेल गिरि में बांधने के गुण हैं। नगर निगम परिसर में लगे मिक्सर में यह सामग्री तैयार की जाती है।

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लॉरीस नाम की कंपनी ने कराया था निर्माण

इनटैक की प्रयागराज इकाई के संयुक्त सचिव वैभव मैनी ने बताया कि प्रयागराज नगर निगम के इस भवन का निर्माण 1865 के आसपास लॉरीस नाम की कंपनी ने कराया था और इसे ‘ग्रेट नॉर्दर्न’ होटल नाम दिया था। कर्नलगंज से नगर निगम के पार्षद आनंद घिल्ढियाल ने बताया कि अंग्रेजों के शासन से पूर्व सिविल लाइंस क्षेत्र में कई गांव थे और नगर निगम का यह भवन कमौरी गांव की नजूल की जमीन पर बना है।

(इनपुट - भाषा)

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Pooja Kumari author

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