Best Places to Visit in Prayagraj: रिपब्लिक डे करें यहां सेलिब्रेट, संगम नगरी के इन बेहद खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट की करें विजिट
Best Places to Visit in Prayagraj: यूपी का शहर प्रयागराज के गर्विले इतिहास में पौराणिक कथाओं के समावेश का आकर्षण सैलानियों को यहां आने पर मजबूर करता है। भारत की 3 प्राचीन व प्रमुख नदियों मोक्ष दायिनी मां गंगा, यमुना व सरस्वती का संगम इस पौराणिक शहर की खूबसूरती को बढ़ा देता है। खुसरो बाग जैसे मकबरे और यहां मौजूद है कई मस्जिद जो इस शहर की गंगा -जमुनी तहजीब के बारे में बताती हैं।
प्रयागराज में वसंत पंचमी पर लगाएं त्रिवेणी संगम में आस्था की डूबकी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
- वसंत पंचमी पर लगाएं त्रिवेणी संगम में डूबकी
- आजादी के आंदोलन की याद दिलाता आनंद भवन
- रिपब्लिक डे पर प्रयागराज में चर्च देखने जरूर जाएं
नायाब वास्तुकला व कई चमत्कारों की कहानियों को अपने दामन में समेटे प्रयागराज में वैसे तो देखने व घूमने लायक कई पर्यटक स्थल हैं। मगर आप इस बार प्रयागराज में रिपब्लिक डे सेलिब्रेट करना चाहते हैं तो शहर के ये बेहतरीन टूरिसट स्पाॅट आपकी खुशी को दोगुना कर देंगे। तो चलिए आपको बताते हैं, यहां की खास जगहों के बारे में, जिन्हें आप हमेशा के लिए यादगार पलों में संजो लेंगे।
वसंत पंचमी पर लगाएं त्रिवेणी संगम में डूबकी
प्रयागराज सनातन धर्म की 3 सबसे प्रमुख नदियों के मिलन का स्थान है। यहां आकर त्रिवेणी संगम में डूबकी लगाना हर सनातनी का ख्वाब होता है। घूमने के लिहाज से ये सबसे लोकप्रिय और पवित्र स्थानों में से एक है। यहां हर वर्ष माघ मेला लगता है। संगम में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां आपस में मिलती हैं। हर 12 साल में संगम के तट पर महाकुभं मेले का आयोजन होता है। यहां आकर आप यदि बोटिंग करते हैं तो आपको नदियों के पानी के रंगों में अंतर दिखेगा।
मुगलई वास्तुकला की अनूठी नजीर खुसरो बाग
प्रयागराज के लुकरगंज इलाके में स्थित, खुसरो बाग सैलानियों को आकर्षित करता है। इसके निर्माण में आपको मुगलई वास्तुकला दिखेगी। खुसरो बाग में उस समय के 3 बेहतरीन डिजाइन किए गए बलुआ पत्थर के मकबरे हैं। जो कि शाह बेगम, खुसरो मिर्जा और निथार बेगम सहित मुगलों के राजघरानों को खिराजे तहसीम पेश करते हैं। बताया जाता है कि, ये सभी अकबर के बेटे जहांगीर से संबंधित थे। खुसरो बाग की सबसे खूबसूरत एक और खासियत है यहां मौजूद अमरूदों और गुलाब के कई बेहतरीन किस्मों से सजे बाग। यह प्रयागराज में घूमने के लिए फेमस जगहों में से एक है।
आजादी के आंदोलन की याद दिलाता आनंद भवन
आनंद भवन में कभी मोतीलाल नेहरु का परिवार रहता था। जिसे अब एक ऐतिहासिक म्यूजियम बना दिया गया है। यूरोपिय फर्नीचर और कुछ चीन के सामानों को उस जमाने में मोतीलाल नेहरू ने इस हवेली को सजाने के लिए मंगवाए थे। 1970 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस हवेली को भारत सरकार को सौंप दिया था। तब से इसकी देखरेख केंद्र सरकार कर रही है। यह प्रयागराज के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।
अकबर ने बनवाया था यहां किलामुगल सम्राट अकबर इलाहबाद से बहुत प्रभावित था। यही वजह थी कि 1583 ईस्वी में मुगल शैली में यहां पर अकबर ने किले का निर्माण करवाया। आज भी ये किला इस शहर के गर्विले इतिहास की गाथाएं अपने में समेटे है। इतिहास के जानकार बताते हैं कि, दरअसल अकबर ने हिंदू आस्था के प्रतीक बरगद के विशालकाय पेड़ को कवर करने के लिए किला बनवाया था। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में वर्गीकृत किया है व सैलानियों के लिए इसके अंदरूनी हिस्से का रखरखाव करता है। किले के कुछ हिस्सों में शिलालेख लगे हैं जो इसके इतिहास का प्रमाण हैं। यह प्रयागराज में घूमने की सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है।
तारामंडल विज्ञान व इतिहास का अनूठा संगम
प्रयागराज के आनंद भवन के पास में स्थित सन 1979 में निर्मित, जवाहर तारामंडल विज्ञान और इतिहास का एक अनूठा संगम है। यहां पर हर वर्ष जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल लेक्चर नामक एक भव्य कार्यक्रम होता है। जिसमें आगतुंको के लिए सौर मंडल और अंतरिक्ष से जुड़े कई शो होते है। अगर आप प्रयागराज आए तो तारामंडल खासकर बच्चों को जरूर दिखाएं।
गुप्त युग का अवशेष अशोक स्तंभ
प्रयागराज में आपको दिखेगा गुप्त युग के एक महत्वपूर्ण अवशेषों में से एक मौर्य सम्राट अशोक द्वारा स्थापित स्तंभ। बलुआ पत्थर से बनें इस स्तंभ में चौथी ईसा पूर्व और 17 वीं शताब्दी के समुद्रगुप्त और जहांगीर युग के शिलालेख मौजूद हैं। हालांकि अब इसे अपने मूल स्थान से किले में स्थानांतरित कर दिया गया था। जो कि अब इंडियन आर्मी के अंडर है। इस को देखने जाने के लिए पहले सेना की परमिशन लेनी पड़ती है।
रिपब्लिक डे पर प्रयागराज में चर्च देखने जरूर जाएं
प्रयागराज में एमजी मार्ग पर 19 वीं शताब्दी के अंत में बना ऑल सेंट्स कैथेड्रल एक शानदार क्रिश्चियन चर्च है। यह यूपी के खूबसूरत चर्चों में से एक है। यहां आने वाले टूरिस्टों के बीच खासा प्रसिद्ध है। चर्च ऑफ स्टोन के तौर पर पहचान रखने वाले इस चर्च की स्थापना सन 1871 में लेडी मुइर एलिजाबेथ हंटली वेमिस ने की थी।
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