Mahakumbh 2025: अनोखे अंदाज वाले 'E-रिक्शा बाबा' महाकुंभ में शामिल होने के लिए पहुंचे प्रयागराज

Mahakumbh 2025: महाकुंभ को लेकर लोगों में अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। भारी संख्या में साधु-संत व श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। इस बीच दिल्ली से 12-13 दिन का सफर कर ई-रिक्शा बाबा भी प्रयागराज पहुंच गए हैं।

अनोखे अंदाज वाले 'E-रिक्शा बाबा' महाकुंभ में शामिल होने पहुंचे

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 मेले में अब गिनकर 8 दिन का समय बाकी रह गया है। ऐसे में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत महाकुंभ की तैयारी में यूपी के प्रयागराज पहुंच रहे हैं। वहीं कई अखाड़ों के साधु-संत प्रयागराज पहुंच चुके हैं और अपने शिविर स्थापित कर रहे हैं। शनिवार को निरंजनी अखाड़े के साधु-संत भस्म में लिपटे, माला पहने हुए घोड़ों पर सवार प्रयागराज पहुंचे तो वहीं एक साधु हाथी पर सवार नजर आए। यह साधु-संत अपने-अपने अखाड़े के झंडे लेकर चलते नजर आए। इस बीच ई-रिक्शा बाबा भी प्रयागराज पहुंचे।

ई-रिक्शा बाबा के नाम से प्रसिद्ध महंत ओम भी प्रयागराज में होने वाले पूर्ण महाकुंभ 2025 में भाग लेने के लिए अपने कस्टमाइज्ड थ्री-व्हीलर पर दिल्ली से प्रयागराज पहुंचे। महंत ओम (ई-रिक्शा बाबा) ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि "मुझे दिल्ली से यहां (प्रयागराज) आने में 12 से 13 दिन लग गए हैं। यह एक धीमी गति से चलने वाला वाहन है। इसमें बिस्तर और रोजमर्रा की जरूरत की चीज है।"

चाबी वाले बाबा पहुंचे प्रयागराज

ई-रिक्शा वाले बाबा ही नहीं, चाबी वाले बाबा भी प्रयागराज पहुंच चुके हैं। हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा 20 किलो की चाबी लेकर घूमते हैं, इसलिए वह चाबी वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होंने एएनआई को बताया कि उन्होंने 16 साल की उम्र में समाज में फैली बुराइयों और नफरत से लड़ने का फैसला किया और घर छोड़ दिया। उन्होंने बहुत पदयात्राएं की है और अपने जीवन में बहुत सारी मुश्किलों का सामना किया है। लेकिन वह फिर भी आगे बढ़ते रहे। उन्होंने बताया कि उनके पास जो चाबियां है वह राम नाम की चाबी है। वह महाकुंभ में राम नाम की चाबी लेकर आए हैं।

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