तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद के बाद प्रयागराज के इस मंदिर में बदला नियम, नवरात्रि से प्रसाद में नहीं चढ़ेगी मिठाई

प्रयागराज के मां ललिता देवी मंदिर में नवरात्रि से बाजार की मिठाई या लड्डू प्रसाद में नहीं चढ़ाए जाएंगे। इसकी जगह भक्त फल, इलायनी दाना और नारियल का प्रसाद चढ़ाया जाएगा। मंदिर प्रबंधन ने दुकानदारों से कहा है कि वे अपनी दुकानों में उन्ही प्रसादों को बेचें, जो मंदिर में चढ़ाए जा सकते हैं।

मां ललिता देवी मंदिर प्रयागराज

तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद के बाद अब प्रयागराज में मां ललिता देवी मंदिर ने नवरात्रि के मौके पर प्रसाद चढ़ाने के नियमों में बदलाव का फैसला लिया है। मंदिर प्रबंधन ने यह तय किया है कि नवरात्रि से इस शक्तिपीठ में लड्डू और अन्य मिष्ठान प्रसाद के रूप में नहीं चढ़ाए जाएंगे। इसकी जगह नारियल, इलायची, दाना और फल चढ़ाया जाएगा। मंदिर प्रबंधन की ओर से किए गए इस बदलाव का उद्देश्य प्रसाद की शुद्धता को बनाए रखना है। इस बदलाव के साथ मंदिर प्रबंधन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रसाद की दुकानों के मालिकों की रोजी-रोटी पर असर न पड़े। मंदिर प्रबंधन ने दुकानदारों को निर्देश दिए हैं कि वह अपनी दुकानों में उन्हीं प्रसादों की बिक्री करें, जो मंदिर में चढ़ाया जाएगा।

इन चीजों का लगाए भोग

मंदिर के पुजारी शिव मूरत मिश्र ने बताया कि हमारे मंदिर प्रबंधन समिति की हाल ही में बैठक हुई थी। बैठक में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की घटना को देखते हुए निर्णय लिया गया कि मां भगवती के सामने भोग में सूखा मेवा, इलायची दाना, बतासा और नारियल का इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा, हम सभी भक्तों और सनातन धर्मावलंबियों से अपील करते हैं कि वह समय-समय पर मिलावट को ध्यान में रखते हुए अपने घर के निकाले हुए घी का प्रयोग करें या फलों और सूखे मेवा का प्रयोग करें।

क्या है तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद

बता दें कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डूओं में फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी मिलाने की पुष्टि हुई थी। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति मंदिर में जो लड्डुओं का प्रसाद तैयार किया जाता है, उसमें जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिला है। ये सब कुछ उस घी में मिला है, जिससे लड्डू तैयार किया जाता है। बता दें कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डूओं में फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी मिलाने की पुष्टि हुई थी। राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के तहत सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड लैब की रिपोर्ट में हुए खुलासे में यह बात सामने आई है।

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