Holi Festival 2023: प्रयागराज में इसलिए होली मनाते हैं विजय दिवस के तौर पर, आप भी जानें इसके पीछे की वजह

Holi Festival 2023: जमुनीपुर कोटवा इलाके के कई गांवों के लोग रंगों से सराबोर होने के बजाय नए वस्त्र धारण कर पूरे परिवार सहित अस्त्र- शस्त्रों के साथ विजय जुलूस में शामिल होते हैं। जमुनीपुर कोटवा इलाके में एक मुगल शासक के कारिंदे के जुल्मों की कहानी का होली के दिन ग्रामीणों ने अंत किया था। यही वजह है कि, तीन सदी बीत जाने के बाद आज भी ग्रामीण इस दिन जश्न करते हैं।

प्रयागराज में होली मनाते हैं विजय दिवस के तौर पर (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुख्य बातें
  • अवध के नवाब के सिपहसालार का अंत होली के दिन किया था
  • सिपहसालार मोहम्मद जफर सईद ग्रामीणों पर करता था जुल्म
  • 3 सदी बीत जाने के बाद आज भी ग्रामीण इस पुरानी रवायत को निभा रहे हैं


Holi Festival 2023: देश भर में दशहरे का पर्व विजय दिवस के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। मगर यूपी की धार्मिक पर्यटन नगरी प्रयागराज में एक इलाका ऐसा भी है जहां पर होली पर्व को विजय दिवस के तौर पर मनाते हैं। अब आपके मन में उत्सुकता होगी कि, आखिर ऐसा कौनसा वो इलाका है जहां होली पर मस्ती से सराबोर होने वाले त्योहार पर लोग विजय दिवस मनाते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं उस इलाके के बारे में।

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दरअसल मुगल साम्राज्य के दौरान उस समय के इलाहबाद में जमुनीपुर कोटवा इलाके में एक मुगल शासक के कारिंदे के जुल्मों की कहानी का होली के दिन ग्रामीणों ने अंत किया था। यही वजह है कि, तीन सदी बीत जाने के बाद आज भी ग्रामीण इस दिन जश्न करते हैं।

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महर्षि दुर्वासा से लेते हैं आशीर्वादप्रयागराज के जमुनीपुर कोटवा इलाके के लोगों के मुताबिक होली के दिन इलाके के कई गांवों के लोग रंगों से सराबोर होने के बजाय नए वस्त्र धारण कर पूरे परिवार सहित अस्त्र- शस्त्रों के साथ विजय जुलूस में शामिल होते हैं। जुलूस कोटवा से महर्षि दुर्वासा आश्रम तक निकाला जाता है। जिसमें ढोल नगाड़ों की जिस्म के लहू में उबाल ला देने वाली धुनों पर थिरकते कई गांवों के लोग महर्षि दुर्वासा आश्रम के नजदीक मौजूद जालिम सिपहसालार मोहम्मद जफर सईद की कब्र पर रोष जताते हैं। इसके बाद सब अपने घरों की ओर लौट जाते हैं।

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