Prayagraj News: पढ़वइयों के शहर प्रयागराज में कैसे पनपा बम कल्चर
यूपी का प्रयागराज शहर ना सिर्फ आस्था का केंद्र है बल्कि पढ़वइयों का भी शहर है, हालांकि इसके समानांतर अपराध की दुनिया ने भी अपने लिए जगह बना ली। बीएसपी से विधायक रहे राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल को मार डाला गया हैं। बता दें कि राजू पाल की हत्या में अतीक अहमद मुख्य आरोपी है।
प्रयागराज में अपराध
25 फरवरी, उमेश पाल हत्याकांड
शुक्रवार की शाम यानी 25 फरवरी की शाम पांच बजे उमेश पाल (पेशे से वकील) अपने घर में दाखिल हो रहे होते हैं कि मोटरसाइकिल और कार सवार कुछ बदमाश उन पर कातिलाना हमला करते हैं। उस हमले में उमेश पाल बुरी तरह घायल होते हैं और अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में मौत हो जाती है। उस वारदात में गोलियों की गूंज, देशी बम का इस्तेमाल किया गया। अब यहां यह भी समझना जरूरी है कि उमेश पाल कौन है। आपको याद होगा कि प्रयागराज में बीएसपी के विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी जिसमें कुख्यात बदमाश अतीक अहमद(गुजरात की जेल में बंद) का हाथ सामने आया। उस केस में उमेश पाल एक प्रमुख गवाह थे।
प्रयागराज में बम कल्चर
साल 1990 का था प्रयागराज के एक इलाके सलोरी में लोग शाम के समय सड़कों पर निकले हुए थे कि एकाएक बमबारी होने लगी। उस बमबारी में दो लोगों की जान चली गई। जैसे लगा कि स्थानीय लोगों पर असर नहीं हुआ। लेकिन जो लोग बाहरी थे उनके लिए बड़ी बात थी। अब सवाल यह था कि इतनी बड़ी वारदात को यहां के लोग इस तरह से हल्के में ले रहे हैं तो कुछ लोगों ने बताया कि यह पहली बार हुआ हो ऐसा नहीं है, कभी नहीं हुआ हो ऐसा भी नहीं और कभी नहीं होगा वैसा भी नहीं। इस संबंध में जब जानकारों से बात की गई तो पता चला कि बंदूक से निकली गोली से जितना भय लोगों को होता है उससे अधिक भय बम की वजह से होता है। बम चलाने के दो फायदों की वजह से यह अपराधियों के लिए हथियार बन गया। बम से टारगेट के खत्म होने की संभावना अधिक होने के साथ साथ मौके से फरार होने में मदद मिलती है और इस वजह से बम कल्चर ने अपनी नींव बना ली।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि प्रयागराज कुंभ मेले के लिए विख्यात है और उस मेले में पंडे अपने वर्चस्व को बनाए- बचाए रखने के लिए अपराध की दुनिया में भी दाखिल हो गए। अपने दुश्मनों को रास्ते से हटाने के लिए वो बम का इस्तेमाल करने लगे। लेकिन समय बीतने के साथ साथ जैसे शहर का विस्तार होता गया, दबदबा कायम करने की होड़ में आपराधिक मानसिकता के लोगों के लिए यह किफायती और सुगम हथियार बन गया। इसके साथ ही जानकारों का कहना है कि जब शहर में आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होने लगा तो उसमें उस तरह के लड़कों ने भी एंट्री ली जो आईएएस-पीसीएस की परीक्षा में नाकाम रहे थे। शहर के आपराधिक गुटों को लगने लगा कि उनके लिए सस्ते में अपराध को अंजाम देने लिए लोग उपलब्ध हैं।
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