Magh Mela 2023: प्रयागराज के संगम तट पर एक ही टेंट के नीचे चार पीढ़ियों का अनूठा कल्पवास

Magh Mela 2023: प्रयागराज के संगम तट पर शुरू हुए माघ मेले में इस बार संस्कृति-परंपरा और संस्कारों का एक अद्भुत मिलन देखने को मिल रहा है। माघ मेला क्षेत्र में जीवन की हर लालसा पूरी कर चुके बुजुर्ग अपने मोक्ष की कामना करते हुए कल्पवास कर रहे हैं। मौसम साफ होने के कारण संगम तट पर बसे माघ मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है।

Magh Mela

संगम तट पर टेंट नगरी (फाइल फोटो)

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • माघ मेले में देखने को मिल रहा है संस्कृति-परंपरा और संस्कारों का अद्भुत मिलन
  • तंबुओं की नगरी में जप, तप और ध्यान की संस्कृति का रंग हो चुका है गाढ़ा
  • माघ मेला क्षेत्र में लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है

Magh Mela 2023: प्रयागराज के संगम तट पर शुरू हुए माघ मेले में 1 महीने के कल्पवास में इस बार संस्कृति-परंपरा और संस्कारों का अद्भुत मिलन देखने को मिल रहा है। माघ मेला क्षेत्र में जीवन की हर लालसा पूरी कर चुके बुजुर्ग अपने मोक्ष की कामना करते हुए कल्पवास कर रहे हैं, वहीं खेलने-कूदने की आयु में बच्चे अपनी परंपरा को जानने-समझने और आत्मसात करने के लिए माघ मेले में आ रहे हैं। मध्य प्रदेश का एक परिवार एक ही तंबू के नीचे 4 पीढ़ियों एक साथ कल्पवास कर रहा है।

प्रयागराज संगम तट पर तंबुओं की नगरी में एक महीने के लिए जप, तप, ध्यान की संस्कृति का रंग गाढ़ा हो चुका है। पौष पूर्णिमा से यज्ञशालाओं में हवन, पंडालों में सत्संग, कीर्तन और कथाओं के बीच कल्पवास के लिए सभी आयु के लोग माघ मेला क्षेत्र में खिंचे चले आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और अन्य प्रदेश से आए संतों -गृहस्थों के मां गंगा से अपने-अपने संकल्प हैं।

99 वर्षीय वृद्धा ब्रह्म मुहूर्त में लगाती हैं डुबकी

माघ मेला क्षेत्र में मध्य प्रदेश के बैतूल की 99 वर्षीय वृद्धा अपने परपोते समेत 4 पीढ़ियों के साथ संगम तट पर कल्पवास कर रही हैं। सेक्टर-3 के अपने शिविर से वह सुबह से शाम तक 3 बार व्हील चेयर से संगम स्नान के लिए जाती हैं। कड़ाके की ठंड के बीच वह ब्रह्म मुहूर्त में डुबकी लगाती हैं। सुगा माई सिसोदिया का कहना है कि जीवन में सबकुछ देख लिया है। मां गंगा ने सारी इच्छा पूरी की है। इस वर्ष का कल्पवास सिर्फ मोक्ष की कामना के लिए कर रही हूं। सुगा माई सिसोदिया के पौत्र दिनोज सिंह राजपूत, प्रपौत्र दिव्य राजपूत के अलावा बहू, बेटे, बेटियां भी कल्पवास के लिए संगम क्षेत्र में आए हुए हैं।

दादी से प्रेरणा लेकर आराध्या कर रही कल्पवास

वहीं महावीर मार्ग स्थित मौनी बाबा के शिविर में उत्तर प्रदेश के ही अमेठी के फुलवारी गांव से अपनी दादी के साथ 9 साल की पोती आराध्या तिवारी भी कल्पवास के लिए संगम क्षेत्र में आई हुई है। फुलवारी गांव की आराध्या को परिवार के लोगों द्वारा कई बार मना किया गया कि वह संगम क्षेत्र पर महीने भर रहने का संकल्प नहीं ले, लेकिन वह अपनी दादी से प्रेरणा लेकर कल्पवास के नियमों का पालन कर रही है।

मौसम साफ होने से संगम तट का बदला नजारा

वहीं सोमवार को धूप निकलने के कारण से संगम तट पर बसे माघ मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। रोज की अपेक्षा मौसम साफ होने से अच्छी धूप खिलने के कारण भारी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए संगम क्षेत्र पहुंचे। ऐसे में संगम तट पर पिकनिक जैसा नजारा देखने को मिल रहा। मौसम साफ होने के कारण शहरवासियों ने भी मेले में पहुंचकर स्नान किया।

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