Maha Shivratri 2023: संगम नगरी में यमुना के बीच विराजित हैं सुजावन महादेव, ऐसे बंधे वचनों में, जानें इसकी पौराणिक कथा
Maha Shivratri 2023: घुरपुर से तीन किमी पश्चिम में यमुना नदी के तट पर स्थित सुजावन महादेव मंदिर। यहां का प्राकृतिक दृश्य हर किसी को आकर्षित करता है। यमुना नदी के बीच में स्थित इस मंदिर में भगवान आशुतोष के दर्शनों की अभिलाषा लिए देश के कोने-कोने से साल भर श्रद्धालु प्रयागराज आते रहते हैं। यहां पर कार्तिक महीने में यम द्वितीया पर महादेव का मेला लगता है। मंदिर पर्यटन विभाग के नक्शे पर मौजूद हैं, वहीं भारतीय पुरातत्व विभाग से संरक्षित है।
प्रयागराज में यमुना के बीच में बसें हैं सुजावन महादेव
मुख्य बातें
- इस स्थान पर बहन यमुना का हाथ थाम यमराज ने किया था स्नान
- यहां पर यम द्वितीया के मौके पर मेला लगता है व लोग दीपदान करते हैं
- यमुना के बीच स्थित इस मंदिर के इलाके में बिखरा है प्रकृति का अनुपम सौंदर्य
Maha Shivratri 2023: सनातन आस्था की पौराणिक नगरी प्रयागराज में यमुना के बीच कुदरत की एक बेमिसाल रचना मौजूद है। जहां सृष्टि के निर्माता, पालक व संहारक अविचल खड़े हैं। शिवरात्रि के पर्व की तैयारियां परवान पर हैं। बाबा के भक्त महादेव को रिझाने के लिए उत्सुक हैं। ऐसे में आज आपको महादेव के एक ऐसे अनूठे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां प्रकृति स्वयं बाबा भोलेनाथ का श्रृंगार करती प्रतीत होती है।
घुरपुर से तीन किमी पश्चिम में यमुना नदी के तट पर सुजावन महादेव मंदिर स्थित है। यहां का प्राकृतिक दृश्य हर किसी को आकर्षित करता है। यमुना नदी के बीच में स्थित इस मंदिर में भगवान आशुतोष के दर्शनों की अभिलाषा लिए देश के कोने-कोने से साल भर श्रद्धालु प्रयागराज आते रहते हैं। यहां पर कार्तिक महीने में यम द्वितीया पर महादेव का मेला लगता है। मंदिर के नीचे उत्तर की ओर पांडवों की मूर्तियां भी बनी हुई हैं। बता दें कि, जहां यह मंदिर पर्यटन विभाग के नक्शे पर मौजूद हैं, वहीं भारतीय पुरातत्व विभाग से संरक्षित है।
मंदिर के आस पास थी नगरीय सभ्यताभीटा स्थित सुजावन देव मंदिर की उत्पत्ति की कहानी बड़ी रोचक है। यहां के इतिहास के जानकार लोग बताते हैं कि, ईस्ट इंडियन रेलवे के ठेकेदारों ईंटों की खोज रहे थे तो यहां पर एक प्राचीन नगर की सभ्यता मिली। जिसके प्रमाण उत्तर की तरफ सुजानदेव मंदिर से आरंभ होकर दक्षिण में डेढ़ मील तक फैले हुए थे। उस जमाने में ये मंदिर यमुना के बीच था। जो कि, धरातल से करीब 60 फुट ऊपर है।
इस मुस्लिम आक्रांता ने ध्वस्त किया था मंदिरइतिहासकारों के मुताबिक मुगल बादशाह शाहजहां के शासनकाल में शाइस्ता खां इलाहाबाद का सूबेदार था। उसने सन 1645 में मंदिर को ध्वस्त कर एक 21 फीट व्यास की बैठक का निर्माण करवा दिया था। करके उस स्थान पर एक अठपहल बैठक बनवा दी। यह बैठक 21 फुट व्यास की थी। बाद में इस स्थान पर हिन्दुओं ने फिर अधिकार कर लिया व मंदिर का निर्माण करवा कर महादेव की एक प्रतिमा स्थापित करवा दी।
यमराज ने यमुना में किया था स्नान इस इलाके के पौराणिक कथाओं के जानकार पंडित रामचंद्र शुक्ला के मुताबिक सुजावन देव मंदिर के बारे में दंतकथा प्रचलित है कि, यहां पर यम द्वितीया के मौके पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। इस बीच यमराज ने अपनी बहन यमुना का हाथ थाम कर डुबकी लगाई थी। उस समय खुद की मेहमानवाजी से प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना को वरदान दिया कि, भाई दूज के मौके पर जो भी यमुना में स्नान करेगा उसे मृत्यु का भय नहीं रहेगा। यही वजह है कि, सुजावन देव मंदिर और यमुना तट पर मेला लगता है। लोग स्नान के बाद यमुना के तीरे दीपदान करते हैं।
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