Prayagraj: अच्छी खबर! महाभारत सर्किट के जरिए बढ़ेगा पर्यटन, दुनिया ऐसे जानेगी महाभारत का वैभव
Prayagraj: यूपी की योगी सरकार महाकुंभ 2025 को लेकर पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा देने की मंशा के चलते प्रयागराज में महाभारतकालीन अवशेषों को सहेजने की तैयारी कर रही है। इसे लेकर प्रदेश का पर्यटन निदेशालय तैयारियों में जुटा है। अब त्रिवेणी संगम नगरी के लोगों के लिए पर्यटन के जरिए रोजगार के अवसर खुलेंगे।
प्रयागराज में महाभारतकालीन सर्किट बनने की तैयारी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
- महाकुंभ 2025 के तहत महाभारतकालीन अवशेषों को सहेजने की तैयारी
- पर्यटन निदेशालय जुटा योजना का खाका खींचने में
- पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के नए अवसर तैयार होंगे
बता दें कि, पहली बार सूबे की योगी सरकार यहां पर महाभारत सर्किट बनाने जा रही है। जिसमें महाभारत युग के समय प्रयागराज में घटी घटनाओं के बारे में लोगों को जानकारी मिलेगी। बता दें कि, इसमें प्रमुख तौर पर हंडिया इलाके में दुर्योधन द्वारा पांडवों को जिंदा जलाकर मारने के लिए बनाए गए लाक्षागृह को भी शामिल किया जाएगा। वहीं कौशाम्बी को भी इस सर्किट योजना में शामिल करने पर चर्चा चल रही है। अब प्रदेश का पर्यटन निदेशालय महाकुंभ के जरिए देश के सांस्कृतिक वैभव को समूचे विश्व से परिचित करवाने को लेकर योगी सरकार की मंशा के मुताबिक, शहर से करीब 40 किमी की दूरी पर मौजूद लाक्षागृह को महाभारत सर्किट के तौर पर विकसित करने की तैयारी का खाका तैयार कर रहा है।
महाभारत सर्किट योजना में ये स्थल होंगे शामिलयूपी पर्यटन निदेशालय के अधिकारियों के मुताबिक, महाभारत सर्किट के तहत यहां आने वाले पर्यटक कांपिल्य, हस्तिनापुर, एछत्र, बरनावा, मथुरा, कौशाम्बी व गोंडा समेत लाक्षागृह स्थल तक की परिक्रमा यात्रा कर सकेंगे। अधिकारियों के मुताबिक, सर्किट का पूरा प्रपोजल पर्यटन महानिदेशक मुकेश मेश्राम के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है। अब महाभारतकालीन लाक्षागृह को डेवलप किया जा रहा है। जिसमें कुंती दरबार सहित भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन व विदुर की प्रतिमाओं को पर्यटक देख सकेंगे। लाक्षागृह के भीतर जाने के लिए महर्षि व्यास द्वार भी बनाया गया है। यहां आने के बाद पर्यटक भगवान श्रीकृष्ण के शंख पांचजन्य को भी देख सकेंगे। बता दें कि, इन सबके अलावा निदेशालय यहां पर रिसर्च केंद्र भी बनाने पर विचार कर रहा है। जिसमें महाभारत काल की कथा का प्रचार हो सके। इसके साथ ही शोधार्थी पांडवों के परिवार के बार में शोध कर सकें। लाक्षागृह पर्यटन स्थल विकास समिति के ओंकानाथ त्रिपाठी के मुताबिक, इस सर्किट की परिकल्पना कर राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगदगुरू स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने इसके लिए सरकार को प्रस्ताव दिया था।
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