लुप्त नहीं हुई है सरस्वती नदी, महाकुम्भ में आ रहे हैं तो यहां दिखेगी धारा; PM Modi ने की पूजा, देखें Video

काल्पनिक नहीं सरस्वती नदी, अगर कोई आपको ये कहे कि सरस्वती नदी काल्पनिक है तो उन्हें यह खबर पढ़ा दें। प्रयागराज में संगम पर तो सरस्वती नदी गुप्त रूप से आकर मिलती ही है। साथ ही प्रयागराज में आप साक्षात सरस्वती के दर्शन भी कर सकते हैं। पीएम मोदी ने भी हाल ही में मां सरस्वती के दर्शन किए।

सरस्वती कूप में हैं सरस्वती की धारा

प्रयागराज में संगम तट पर महा कुम्भ 2025 (Maha Kumbh 2025) का आयोजन हो रहा है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक संगम नगरी में महा कुंभ का आयोजन होगा। इस दौरान 6 मुख्य स्नान होंगे। जिसमें 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा का स्नान हो चुका है। आज यानी मंगलवार 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर दूसरा मुख्य स्नान है। इसके अलावा 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर तीसरा, 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर चौथा, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के अवसर पर पांचवां और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर छठा मुख्य स्नान होगा। देश और दुनियाभर से लगभग 40-45 करोड़ लोगों के इस महाकुम्भ मेले में आने की उम्मीद है। महा कुम्भ का आयोजन प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर होता है। यहां गंगा और यमुना की धाराएं तो दिखती हैं, लेकिन सरस्वती की धारा के दर्शन नहीं होते। माना जाता है कि सरस्वती गुप्त रूप से यहां संगम पर आकर मिलती है। महा कुम्भ स्नान के लिए प्रयागराज आए हैं तो यहां सरस्वती नदी के दर्शन जरूर करें।

माना तो जाता है कि सरस्वती नदी लुप्त हो गई है। एक समय पर यह गंगा और यमुना से भी बड़ी नदी थी। आज भले ही गंगा और यमुना की तरह सरस्वती नदी की धारा बहती हुई न दिखती हो। लेकिन माना तो यही जाता है कि प्रयागराज के संगम पर यह अदृश्य रूप से मौजूद है। सरस्वती नदी एक समय अस्तित्व में थी यह तो वैज्ञानिक रिसर्च में भी सामने आ चुका है, जिसका मतलब है कि यह काल्पनिक नदी नहीं है। सरस्वती की धारा को लेकर जरूर कुछ मत हैं, जिसके अनुसार इसकी एक धारा हिमालय से निकलकर राजस्थान की ओर जाती थी और अरब सागर में गिरती थी। राजस्थान और पश्चिमी हरियाणा के कुछ इलाकों में अक्सर सरस्वती की धारी फूटने की खबरें भी आती रहती हैं।

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