Video: कुंभ के बाद कहां गायब हो जाते हैं नागा साधु? जानें कैसे बिताते हैं अपना जीवन

नागा साधु कुंभ मेले के दौरान बड़ी संख्या में दिखाई देते हैं, लेकिन उनका जीवन आम समाज से अलग, तपस्या और ध्यान में व्यतीत होता है। उनकी रहस्यमय जीवनशैली ही उन्हें श्रद्धालुओं के बीच विशेष बनाती है। कुंभ समाप्त होने के बाद वे अपनी साधना स्थली पर लौट जाते हैं, जहां उनका ध्यान सांसारिक जीवन से दूर धर्म और तपस्या पर केंद्रित होता है।

नागा साधु।

नागा साधु भारत की प्राचीन सनातन परंपरा का हिस्सा हैं और अखाड़ों से जुड़े हुए तपस्वी साधु होते हैं। कुंभ मेले के दौरान ये साधु बड़ी संख्या में दिखते हैं और श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं। हालांकि, कुंभ समाप्त होने के बाद ये साधु आम जीवन में दिखाई नहीं देते। सवाल उठता है कि कुंभ से पहले और बाद में नागा साधु कहां रहते हैं।

कहां रहते हैं नागा साधु?

आपको बता दें कि नागा साधु ज्यादातर समय अपने-अपने अखाड़ों में रहते हैं। देश में कई अखाड़े हैं, जो इन साधुओं निवास स्थान होते हैं। ये अखाड़े देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं, जैसे हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। नागा साधु एकांतवास में रहना पसंद करते हैं। वे अक्सर पहाड़, जंगलों, और गुफाओं जैसे शांत और निर्जन स्थानों पर ध्यान और साधना में समय बिताते हैं।

कुंभ के बाद कहां चले जाते हैं नागा साधु?

इसके साथ ही नागा साधु स्थायी रूप से एक जगह पर नहीं रहते। वे साधुओं की तरह भिक्षा पर निर्भर रहते हुए, विभिन्न धार्मिक स्थलों और तीर्थयात्राओं पर घूमते रहते हैं। नागा साधु अपने जीवन को ध्यान, योग, और धर्म प्रचार में लगाते हैं। वे कठोर तपस्या और साधना के लिए समय निकालते हैं। नागा साधु सांसारिक मोह-माया से दूर रहने की प्रतिज्ञा लेते हैं। वे समाज से ज्यादा संपर्क नहीं रखते, इसलिए उनकी उपस्थिति कुंभ जैसे बड़े आयोजनों तक ही सीमित रहती है।

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