यहां नहीं गए और परिक्रमा नहीं की तो महाकुम्भ स्नान अधूरा, जानें प्रयागराज की यह खास बात

प्रयागराज में लगने वाले महा कुम्भ मेले में जाने की तैयारी है? अगर आप जा ही रहे हैं तो आपको बता दें कि सिर्फ संगम में डुबकी लगाने से ही कुछ नहीं होगा, बल्कि जिन मंदिरों के बारे में हम यहां बता रहे हैं, उनकी परिक्रमा जरूर करें। मान्यता है कि यहां परिक्रमा करने के बाद ही कुम्भ का पुण्य फल फलता है।

महाकुम्भ 2025 की तैयारियां जोरों पर

Maha kumbh 2025: संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महा कुम्भ की शुरुआत हो रही है। महाकुंभ के लिए आपने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली होगी। 45 दिन के इस महाकुम्भ के दौरान 6 प्रमुख स्नान (शाही स्नान) का बड़ा महत्व है। इसके अलावा पूरे कुम्भ मेले के दौरान संगम पर स्नान का पुण्य जन्मों के लिए जमा हो जाता है। इसके अलावा कल्पवास का भी अपना महत्व है। लेकिन संगम में डुबकी लगाना और कल्पवास का फल ही आपको तभी मिलता है, जब आप प्रयागराज के इन 12 मंदिरों में दर्शन और परिक्रमा करते हैं।

मान्यता है कि इन मंदिरों में दर्शन और परिक्रमा के बाद ही कुम्भ स्नान और कल्पवास का भी पुण्य मिलता है। इसलिए अगर आप इस महा कुम्भ के दौरान पवित्र संगम पर डुबकी लगाकर पुण्य कमाने जा रहे हैं तो इन 12 मंदिरों की परिक्रमा करना न भूलें। जिन 12 मंदिरों की बात हम यहां कर रहे हैं उन्हें द्वादश माधव कहा जाता है।

ब्रह्मा ने स्थापित किए मंदिर

धार्मिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने ही सृष्टि की रचना के बाद प्रयागराज में द्वादश माधव की स्थापना की थी। प्रयागराज संगम में डुबकी लगाने और कल्पवास का फल भी तभी मिलता है, जब इन द्वादश माधव के दर्शन और परिक्रमा की जाती है।

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