Pune News: पुणे का नीलकंठेश्वर मंदिर है अपने आप में बेहद खूबसूरत, भगवान शिव के साथ होता है प्रकृति का एहसास

Pune News: पुणे का नीलकंठेश्वर मंदिर अपनी अलग खासियत के लिए जाना जाता है। यह मंदिर पुणे शहर से 30 किलोमीटर दूर है। मंदिर में भगवान शिव के अलावा महाभारत और गुरुओं से संबंधित बहुत सारी मूर्तियां हैं। इस पूरे मंदिर में 1200 से ज्यादा मूर्तियां बनी हुई हैं। हर साल इन मूर्तियों के रखरखाव के लिए रंगाई-पुताई का काम किया जाता है।

मुख्य बातें
  • नीलकंठेश्वर मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए है मशहूर
  • पूरे मंदिर में 1200 से ज्यादा खूबसूरत मूर्तियां है मौजूद
  • मंदिर के अंदर एक छोटा तालाब भी है मौजूद


Pune News: शिवरात्रि के मौके पर हम आपको पुणे के मशहूर नीलकंठेश्वर मंदिर के बारे में बताते हैं। पुणे के तम्हिनी घाट, पानशेत में मौजूद नीलकंठेश्वर मंदिर मानसून के वक्त स्वर्ग की तरह लगता हैं। यह मंदिर पुणे शहर से 30 किलोमीटर दूर है। नीलकंठेश्वर मंदिर उसके पार्किंग क्षेत्र से 1 किमी पहाड़ी ट्रेक पर मौजूद है। शीर्ष पर पहुंचने में कम से कम 40-60 मिनट लगते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर दो विशाल मूर्तियां हैं। साथ ही लेटी हुई स्थिति में भगवान बजरंग बली की एक बड़ी मूर्ति है साथ ही और आगे जाने पर एक बहुत बड़ा छायादार क्षेत्र है। मंदिर में महाभारत और गुरुओं से संबंधित बहुत सारी मूर्तियां हैं।

मुख्य मंदिर में जाने से पहले भगवान शिव की एक बड़ी मूर्ति और मूर्ति के सामने एक छोटा तालाब है। शिव प्रतिमा के साथ अष्ट गणपति की मूर्तियां हैं। इस छोटे से तालाब के दूसरी तरफ कुछ गुरुओं की मूर्तियां भी मौजूद है। मुख्य मंदिर एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। अंदर जाने पर एक बड़ा हॉल है। यहां भगवान और गुरुओं की मूर्तियों को एक साथ एक श्रृंखला में रखा गया है।

पूरे मंदिर में है 1200 से ज्यादा मूर्तियां बड़ा हॉल के बगल में एक और हॉल है जिसमें मुख्य शिवलिंग मंदिर है। मुख्य मंदिर के सामने यात्री निवास है जो एक तीर्थ निवास है जहां दर्शन करने वाले भक्त रात को आराम कर सकते हैं। इस मंदिर से बाहर आने के बाद एक और रास्ता एक बड़े खुले क्षेत्र की ओर जाता है जहां कई देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं। सभी मूर्तियां रामायण और महाभारत पर आधारित हैं। यहां साधु-संतों और देवताओं की भी कई मूर्तियां हैं। इस पूरे मंदिर में 1200 से ज्यादा मूर्तियां बनी हुई हैं। हर साल इन मूर्तियों के रख-रखाव के लिए रंगाई-पुताई का काम किया जाता है। यह मूर्तियां देखने में बहुत ही जीवंत और बेहद खूबसूरत लगती हैं।

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