पाकिस्तान में कटास और भारत में पुष्कर, एक डोर से जुड़े पड़ोसी देशों के दो शहर
पाकिस्तान और भारत 7-8 दशक पहले तक एक ही थे। लेकिन जब दोनों देश अलग हुए तो यहां कुछ जगहें वीरान जबकि कुछ आबाद हो गईं। भारत में पुष्कर जहां हिंदुओं की आस्था का केंद्र बना रहा, वहीं पाकिस्तान में एक जगह ऐसी है, जहां हिंदुओं का जाना लगभग बंद हो गया।
पुष्कर
भारत और पाकिस्तान सिर्फ पड़ोसी देश नहीं हैं, बल्कि दोनों एक-दूसरे से इतिहास व संस्कृति की डोर से जुड़े हुए भी हैं। 1947 में पाकिस्तान बना है, आजादी से पहले तो दोनों देश एक ही थे। जब भूगोल, इतिहास और संस्कृति एक हो तो इन दोनों देशों को ऐसे ही अलग करना बड़ा मुश्किल है। आज हम दोनों देशों के ऐसे दो शहरों का कस्बों की बात कर रहे हैं, जो एक अनोखे डोर से बंधे हैं। भारत और पाकिस्तान के जिन दो शहरों की बात हम यहां कर रहे हैं, उनका नाम पुष्कर और कटास है। चलिए जानते हैं -
पहले बात पुष्कर कीपुष्कर, राजस्थान में अजमेर के पास एक छोटा सा शहर है और यह अजमेर जिले के अंतर्गत आती है। पुष्कर अपने विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर के लिए मशहूर है। इसके अलावा यहां के पुष्कर तालाब में डुबकी लगाने के लिए भी श्रद्धालु आते हैं, जिस पर कई घाट बने हैं। यहां पुष्कर मेले का आयोजन भी होता है। यहां पर गुरु नानक और गुरु गोबिंद सिंह गुरुद्वारे भी हैं। यह अरावली की पहाड़ियों के पश्चिम में स्थित है और यहां का नजदीकी एयरपोर्ट किशनगढ़ हवाई अड्डा है, जो यहां से करीब 45 किमी दूर है। रामायण, महाभारत और पुराणों में पुष्कर का जिक्र मिलता है। इसके अलावा 1192 इस्वी में मोहम्मद गौरी की जीत से जुड़े रिकॉर्ड में भी यहां का जिक्र है।
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पुष्कर और अजमेर का जिक्र कुतुब-दीन-ऐबक से जुड़े एतिहासिक रिकॉर्ड्स में भी मिलता है। यह कई सदियों तक मुस्लिम शासकों के कंट्रोल में रहा। औरंगजेब की सेना ने पुष्कर में जील के पास कई मंदिरों को तुड़वा दिया था। बाद में कई मंदिरों को राजपूतों, मराठों, ब्राह्मणों और धनी हिंदू व्यापारियों ने बनवाया।
कहां है कटास कटास पाकिस्तान के चोआ सैदानशाह नगरपालिका समिति का हिस्सा है। कहा जाता है कि गुरु नानक भी कटास आए थे। सिख राजा रंजीत सिंह भी अक्सर यहां आया करते थे। हालांकि, पाकिस्तान में मौजूद यह जगह पुष्कर की तरह मशहूर नहीं है, लेकिन इसका पुष्कर से एक खास संबंध जरूर है।
कटास और पुष्कर में संबंधपाकिस्तान के कटास और भारत के पुष्कर में खास संबंध है। पुष्कर में ब्रह्मा का मंदिर है और यहां पर एक पौराणिक झील है। इसी तरह पाकिस्तान के कटास में कटास राज मंदिर है और वहां पर भी ऐक पौराणिक झील है। यह दोनों ही हिंदुओं के तीर्थ स्थल हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव के अपमान से आहत होकर देवी सती ने अपने पिता द्वारा किए जा रहे यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था। इससे भोले बाबा की आंखों से दो आंसू टपके। इन दो बूंद आंसुओं से दो सरोवर बने, जिनमें से एक पुष्कर में है और दूसरा पाकिस्तान के कटास में।
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महाराजा रणजीत सिंह कटास राज मंदिर में धार्मिक यात्रा के लिए जाया करते थे। वह साल 1806 में वैशाखी के अवसर पर यहां गए थे। इसके बाद दिसंबर 1818 और 1824 में भी महाराज रणजीत सिंह के यहां जाने के प्रमाण हैं। आजादी से पहले बड़ी संख्या में हिंदू यहां धार्मिक यात्रा के लिए जाया करते थे।
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