Chhattisgarh: महिला समूह के लिए बिरकोनी गौठान बना आर्थिक गतिविधियों का नया केंद्र, सशक्त हो रही हैं महिलाएं
छत्तीसगढ के महासमुंद जिले के ग्राम बिरकोनी में शासन की महत्वपूर्ण योजना गोधन न्याय योजना अंतर्गत निर्मित गौठान में महिला स्व सहायता समूह अपने आर्थिक स्थिति में बदलाव की सकारात्मक कहानियां लिख रही हैं। गौठान में जय मां दुर्गा एवं राम जानकी महिला स्व सहायता समूह द्वारा वर्मी खाद का उत्पादन किया जा रहा है। समूहों द्वारा अब तक कुल 31,367 किलोग्राम खाद का निर्माण किया जा चुका है तथा 3 लाख रुपए की राशि का लाभ प्राप्त कर चुकी है।
छत्तीसगढ के महासमुंद जिले में बिरकोनी गांव बना आर्थिक गतिविधियों का केंद्र
रायपुर: महासमुंद जिले के ग्राम बिरकोनी में शासन की महत्वपूर्ण योजना गोधन न्याय योजना अंतर्गत निर्मित गौठान में महिला स्व सहायता समूह अपने आर्थिक स्थिति में बदलाव की सकारात्मक कहानियां लिख रही हैं। यहां गौठान न केवल पशुओं के रखने की एक जगह है, बल्कि आजीविका गतिविधियों का एक सशक्त माध्यम भी है। यहां समूहों द्वारा द्वारा विभिन्न आय जनित गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से वे अपना और अपने परिवार की आजीविका को समृद्ध और मजबूत बना रही है।
गौठान में जय मां दुर्गा एवं राम जानकी महिला स्व सहायता समूह द्वारा वर्मी खाद का उत्पादन किया जा रहा है। समूहों द्वारा अब तक कुल 31,367 किलोग्राम खाद का निर्माण किया जा चुका है तथा 3 लाख रुपए की राशि का लाभ प्राप्त कर चुकी है। समूह की सदस्य बताती है कि वर्मी खाद से प्राप्त आय से कमर करधन, पति के लिये मोटरसायकल एवं बच्चों के पढ़ाई में पैसा का उपयोग किया गया है।
श्री सांई महिला स्वसहायता समूह द्वारा गौदान में 1720 लीटर गौ मूत्र का क्रय कर जैविक कीटनाशक दवाई को बनाकर 22 हजार रूपये का जैविक कीटनाशक का विक्रय किया गया है। समूह की दीदी बताती है कि जैविक कीटनाशक के उपयोग से फसलों में अच्छा उत्पादन देखने को मिला है। इसके साथ-साथ समूह सब्जी उत्पादन का कार्य भी करती है जिसे आंगनबाड़ी एवं स्कूलों में विक्रय कर अब तक 65 हजार रुपए की आय प्राप्त कर चुकी है।
भाग्यलक्ष्मी महिला स्वसहायता समूह ने मुर्गीपालन कर 48 हजार रूपए की आय प्राप्त की है। श्री गणेश महिला स्वसहायता समूह द्वारा दोना पत्तल निर्माण एवं लड्डू निर्माण का कार्य भी किया जाता है। ओम महिला स्वसहायता समूहों के द्वारा बिहान केन्टीन एवं छत्तीसगढ़ी व्यंजन एवं विभिन्न प्रकार का मिठाई बनाकर 2 लाख 50 हजार रुपए की आय प्राप्त कर चुकी है, जिसे ग्रामीण बाजारों में एवं शादी एवं अन्य कार्यक्रम में विक्रय कर अच्छा लाभ प्राप्त की है.
माया महिला स्वसहायता समूह द्वारा मशरूम उत्पादन का कार्य भी किया जा रहा है जिससे 28 हजार रुपए की आय हो चुकी है इसके अतिरिक्त कपड़ा सिलाई एवं हर्बल गुलाल का निर्माण कर अच्छा आय प्राप्त कर चुकी है।
समूह की दीदियां बताती है कि समूह से जुड़ने के बाद उनको कई प्रकार से लाभ एवं आर्थिक सहायता प्राप्त हुआ है। घर से कभी बाहर ना जाने वाली दीदी आज गौठान से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी। इसके अतिरिक्त उक्त समूहों को बिहान योजना अंतर्गत चक्रिय निधि 15 हजार रूपये, सामुदायिक निवेश निधि 60 हजार रूपये एव बैंक से बैंक ऋण आर्थिक रूप से सशक्त बनाने हेतु प्रदान किया गया है।
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