Chhattisgarh News: आजादी के दशकों बाद पहली बार पहाड़ी कोरवा की रातें होंगी रोशन, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल

कोरवा जनजाति, जिन्हें पहाड़ी कोरवा भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी और आदिवासी जनजातियों में से एक है। इनकी जीवनशैली जंगल और पहाड़ों पर निर्भर करती है, और ये अब तक आधुनिक सुविधाओं से कोसों दूर रहे हैं।

पहाड़ी कोरवा की रातें अब होंगी रोशन

जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड में बसे महुआपानी गांव, जो जिला मुख्यालय से करीब 85 किलोमीटर दूर है, अब बिजली की चमक से रोशन होने वाला है। घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों के बीच बसा यह गांव विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय का घर है। यहां के निवासी, जो सदियों से अंधेरे में जीवन बिता रहे थे, अब पहली बार बिजली की रोशनी का अनुभव करेंगे। यह ऐतिहासिक कदम मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल और पीएम जनमन योजना के तहत संभव हो सका है।

महुआपानी: दुर्गमता और संघर्ष की कहानी

महुआपानी गांव का दुर्गम इलाका, जहां पहुंच पाना ही एक चुनौती है, लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहा है। बिजली जैसी महत्वपूर्ण सुविधा का न होना यहां के निवासियों के लिए एक बड़ा संकट बना हुआ था। इस गांव में विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय के 100 से अधिक परिवार रहते हैं। कोरवा जनजाति, जिन्हें पहाड़ी कोरवा भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी और आदिवासी जनजातियों में से एक है। इनकी जीवनशैली जंगल और पहाड़ों पर निर्भर करती है, और ये अब तक आधुनिक सुविधाओं से कोसों दूर रहे हैं।
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