छत्तीसगढ़ यंग साइंटिस्ट कांग्रेस में सीएम भूपेश बघेल, बोले- आधुनिक शोध से ही करेंगे तरक्की

Chhattisgarh young scientist congress 2023: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 18वें छत्तीसगढ़ यंग साइंटिस्ट कांग्रेस 2023 के शुभारंभ समारोह में शामिल हुए। छत्तीसगढ़ काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी और पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी रायपुर के तत्वाधान में आयोजन हमने नरवा गरूआ घुरूआ बारी योजना की शुरूआत की है।

Bhupesh Baghel, Chhattisgarh CM

भूपेश बघेल, छत्तीसगढ़ के सीएम

Chhattisgarh young scientist congress 2023: रायपुर के पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल(Chhatisgarh CM Bhupesh Baghel) ने कहा कि पहले टीवी और मोबाइल के नाम पर भी लोग हंसते थे।लेकिन आज वैज्ञानिक सोच की वजह से मोबाइल में ही लोग टीवी देख रहे हैं। पहले मौसम वैज्ञानिक से जानकारी लेनी पड़ती थी आज मोबाइल में ही सब कुछ है। लेकिन हम संसाधनों का सही से इस्तेमाल न करें तो इसका दुरूपयोग भी होता है। जितना शोध हमारे ऋषि मुनियों ने किया है उतने शोध पूरी दुनिया में कहीं नहीं हुए हैं। वर्तमान समस्याओं को पुराने शोध के आधार पर खोजेंगे तो नए शोध समाज में कैसे आएंगे।

'आधुनिक शोध समय की जरूरत'

उन्होंने कहा कि आज मौसम में बदलाव हो रहा है ये क्यों हो रहा है इसके आधार में नहीं जाएंगे तो पता कैसे चलेगा। छत्तीसगढ़ सरकार दुनिया की पहली सरकार है जो गोबर खरीद रही है। इसके लिए लोगों ने मजाक भी बनाया और योजना की सफलता पर सवाल उठाए। अब गोबर से वर्मी कंपोस्ट बन रहा है,पराली को जला नहीं रहे गौठानों में पहुंचा रहे हैं। जितना हम धरती से ले रहे हैं उतना हमें धरती को वापस भी करना है।इस योजना से धरती उर्वर हो रही है उत्पादन बेहतर हो रहा है।

'छत्तीसगढ़ पर मेहरबान है प्रकृति'

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि प्रकृति ने छत्तीसगढ़ में हमें बहुत कुछ दिया है। इसका इस्तेमाल कर हम रोजगार भी उत्पन्न कर रहे हैं।गोबर से कई उत्पाद बन रहे हैं, खाद बना रहे हैं,प्राकृतिक पेंट बना रहे हैं,गोबर से बिजली उत्पादन कर रहे हैं।गांव की महिलाएं बहने गोबर से बिजली उत्पादन कर रही हैं।राजा राममोहन राय ने अंग्रेजी और विज्ञान के लिए आंदोलन चलाया था।आज देश के विद्यार्थी देश और दुनिया में अपना स्थान बना पाए हैं।पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की सोच वैज्ञानिक थी, उनके पास विज्ञान की भी डिग्री थी। जब उन्हें अवसर मिले तो उन्होंने देश को आईआईटी और आईआईएम दिया। यदि नेहरू जी आधारभूत संरचनाएं निर्मित नहीं करते तो हम भी अपने पड़ोसी देशों की तरफ होते। लेकिन आज हम दुनिया से आंख में आंख मिलाकर बात कर पा रहे हैं।

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