प्रशिक्षण से कौशल बढ़ता है और गुणवत्ता में होता है विकास, मामलों के निराकरण में होगी आसानी, जस्टिस गौतम चौरड़िया ने कही ये बात

छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अधीनस्थ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोगों में नियुक्त अध्यक्षों एवं सदस्यों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आज छत्तीसगढ़ प्रशासन अकादमी निमोरा में शुरू हो गया है।

उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोगों के अध्यक्ष एवं सदस्यों का प्रशिक्षण

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अधीनस्थ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोगों में नियुक्त अध्यक्षों एवं सदस्यों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आज छत्तीसगढ़ प्रशासन अकादमी निमोरा में शुरू हो गया है। शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया ने कहा कि प्रशिक्षण से कौशल बढ़ता है और गुणवत्ता में विकास होती है। अतः समय-समय पर प्रशिक्षण होते रहना चाहिए। जब हम शुरूआती दौर पर होते है तो हम सबको प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने कहा कि ज्ञान की खोज कभी भी समाप्त नहीं होनी चाहिए। जीवन में ज्ञान को खोजते रहना चाहिए और विनम्रता एवं सद्भाव के साथ ज्ञान को ग्रहण करना चाहिए। न्याय मूर्ति चौरड़िया ने कहा कि किसी भी प्रकरणों पर निर्णय देने से पहले पूर्व के निर्णयों के साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायमूर्तियों द्वारा दिए गए निर्णयों का अवलोकन व अध्ययन करना चाहिए। इसके साथ जनहित में ईमानदारी पूर्वक स्वविवेक का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति चौरड़िया ने उदाहरण देते बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इसलिए सुप्रीम नहीं है क्योंकि उनके फैसले पर कोई अपील नहीं कर सकता, बल्कि इसलिए सुप्रीम है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही समय-समय पर अपने द्वारा दिए गए फैसलों को स्वयं बदलकर जनहित में फैसले लिए जाते है। उन्होंने कहा कि जनता की पीड़ा को समझ-बूझकर प्रकरणों पर निर्णय देना चाहिए। न्यायमूर्ति श्री चौरड़िया ने कहा कि कभी भी संशय में रहकर निर्णय नही देना चाहिए। संशय मुक्त होकर निर्णय ले। संशय में रहकर दिए गए निर्णय कभी भी सही नहीं हो सकता। अतः मति और गति को नियंत्रित रखते हुए सही निर्णय देना चाहिए। न्यायमूर्ति चौरड़िया ने कहा कि जब हम कुर्सी में बैठते है तो सिर्फ न्यायाधीश होते है। हमारी कोई जात, धर्म या कोई रिश्तेदार नहीं होता। हमें इस कुर्सी पर बैठकर कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ईमानदारी और अनुशासन के साथ निर्णय देना चाहिए।

प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता सरंक्षण विभाग के सचिव श्री टोपेश्वर वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण प्रतितोष आयोग का मुख्य दायित्व है कि पीड़ित उपभोक्ताओं को उचित न्याय मिले। उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित दैनिक कार्यों एवं कानूनी पहलुओं से संबंधित विषयों पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विषय विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी को गंभीरता से सुने और समझे, ताकि पीड़ित उपभोक्ताओं के हित में बेहतर निर्णय लिया जा सके। खाद्य सचिव श्री वर्मा ने कहा कि निश्चित ही इस प्रशिक्षण से उपभोक्ताओं से संबंधित प्रकरण के निराकरण में आसानी होगी और तेजी आएगी।

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