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छत्तीसगढ़ के इस गांव में खरगोश-मुर्गा पकड़ने की अनोखी परंपरा, पहली बार शामिल हुईं विधायक रेणुका सिंह

मनेंद्रगढ़ के ताराबहरा के आश्रित गांव बैरागी में कई सालों से खरगोश-मुर्गा और केकड़ा-मछली पकड़ने की अनोखी परपंरा चली आ रही है। होली के तीसरे दिन यह कार्यक्रम होता है। जिसमें पहली बार विधायक रेणुका सिंह भी शामिल हुईं। उन्होंने महिलाओं के समूह के साथ केकड़ा और खरगोश पकड़ा।

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ में एक ऐसा गांव हैं जहां पर होली के बाद खरगोश, मुर्गा व केकड़ा पकड़ने की अनूठी परंपरा है। जिसका पालन कई पीढ़ियों से यहां के लोग कर रहे हैं। माना जाता है कि गांव में आकाल से बचने के लिए गांव वाले होली के तीसरे दिन यह कार्यक्रम करते हैं। इस बार विधायक रेणुका सिंह पहली बार इस कार्यक्रम में पहुंची और महिलाओं के समूह के साथ इस अनूठी परंपरा का हिस्सा बनीं। विधायक रेणुका सिंह ने पहले केकड़ा पकड़ा, जिसके बाद खरगोश को भी पकड़ा।

महिलाएं मछली और पुरुष पकड़ते हैं केकड़ा

मनेंद्रगढ़ में ताराबहरा के आश्रित ग्राम बैरागी में यह अनोखी परंपरा वर्षों से चली आ रही है। जिसें आज भी गांव के लोगों ने जीवित रखा है। इस परंपरा को लेकर मान्यता है कि गांव को आकाल से बचाने के लिए गांव वालों के द्वारा होली के तीसरे दिन इकठ्ठा होते हैं और दो समुहो में बट जाते हैं। इसमें एक समूह पुरूषों का और दूसरा समूह महिलाओं का होता है। गांव वालें एक आर्टीफिशियल तालाब जैसा बनाते हैं। जिसके बाद एक में मछली और दूसरे में केकड़ा डाला जाता है। महिलाओं का एक समूह मछली और पुरूषों का एक समूह केकड़ा पकड़ता है। इस प्रतियोगिता को जो भी जीतता है उसे गांव वालें पुरस्कृत करते हैं।

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