मचान विधि से सब्जियां उगाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाएंगी दंतेवाड़ा की 1000 दीदियां

दंतेवाड़ा के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। इसी कड़ी में यहां की 1000 दीदियों की बाड़ी में मचान बनाने का कार्य किया जा रहा है, ताकि यहां वह सब्जियों की अच्छी पैदावार लेकर अपनी आमदनी बढ़ा सकें।

बीज बोती महिलाएं

रायपुर : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए अनोखी पहल की गई है। यहां राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत किसानों को मचान विधि से सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। दंतेवाड़ा की 1000 दीदियों की बाड़ी में मचान बनाने का कार्य किया जा रहा है, ताकि वह अपनी बाड़ी से बेहतर उत्पादन ले सकें।

क्या है मचान

बता दें कि लता या बेल वाली सब्जियों को सहारा देने के लिए मचान विधि का इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादातर बाड़ियों में ही इस मचान बनाए जाते हैं। गावों में जहां पर घर के उपयोग के लिए सब्जियां उगाई जाती हैं, वहां पर आप मचान आसानी से देख सकते हैं। इसमें लताओं के फलने-फूलने के लिए रस्सी और तार के जरिए मचान का निर्माण किया जाता है। इसका फायदा यह होता है कि पौधे पर आने वाली सब्जी खराब नहीं होती है और उसकी गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।
गांवों के किसान परिवार अपनी सुविधा और मौसम के अनुसार अपनी बाड़ियों और खेतों में भिंडी, कुम्हड़ा, तोरई, बरबट्टी, सेम, भटा, करेला, लौकी जैसी कई सब्जियों लगाते हैं। इसी कड़ी में दंतेवाड़ा जिले में कुपेर ग्राम पंचायत के स्वयं-सहायता समू की दीदी झुनकी यादव के मकान की 3.8 डिसिमिल भूमि में मचान विधि से करेला लगाने के लिए नर्सरी बेड तैयार किया गया है।

यहां हो रहा मचान बनाने का काम

तस्वीर साभार : Times Now Digital

जैविक कृषि पर जोर

दंतेवाड़ा जिले के किसानों का रुझान हमेशा से ही जैविक कृषि की ओर रहा है। इसलिए मिशन बिहान के तहत ग्रामीण क्षेत्र में जैविक सब्जी और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जिले की 1000 दीदियों की बाड़ियों में 'मचान' विधि से सब्जी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
मचान विधि से सब्जियां उगाकर यहां के किसान आत्मनिर्भर तो बनेंगे। कृषि एवं उद्यान विभाग अन्य दीदियों को भी घर की बाड़ियों में मचान विधि से सब्जी लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है।
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