Ranchi BioDigester Plant: रांची में बनेगा बायो डायजेस्टर प्लांट, बनाई जाएगी बायोगैस
Ranchi News: रांची के लोगों के लिए बेहद अच्छी खबर है। यहां अब बायो डायजेस्टर प्लांट बनेगा। इस प्लांट में कचरे से बायोगैस बनाई जाएगी। इसके लिए जरूरी कागजी प्रक्रियाएं भी पूरी कर ली गईं हैं। प्लांट शुरू बन जाने के बाद चार जगहों पर एमटीएम भी बनाए जाएंगे। इसके निर्माण के लिए नगर निगम ने एजेंसी का चयन कर लिया है।
रांची नगर निगम
मुख्य बातें
- शहर में हर दिन निकलने वाले 700 टन कचरे से बनेगी बायो गैस
- प्लांट बनाने के लिए पूरी कर ली गई डीपीआर समेत अन्य प्रक्रियाएं
- शहर के झीरी में बनाया गया है डंपिंग जोन
Ranchi BioDigester Plant Construction: राजधानी में अब कचरे से बायोगैस बनाई जाएगी। हर दिन निकलने वाले 700 टन कचरे से बायोगैस बनेगी। इसके लिए शहर में बायो डायजेस्टर प्लांट बनाया जाएगा। इसका निर्माण नगर निगम और गेल इंडिया मिलकर करेगा। जून तक यह बनकर तैयार हो जाएगा। प्लांट बनाने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) समेत अन्य कई काम पूरे हो चुके हैं। शहर के झीरी में डंपिंग जोन बनाया गया है। यहां कई मीट्रिक टन कचरे को डंप किया गया है।
कचरे के निस्तारण को लेकर निगम चिंतित था। ऐसे में बायो डायजेस्टर प्लांट बनाया जा रहा है। इसके बनने के बाद शहर की 4 जगहों पर मिनी ट्रांसफर स्टेशन (एमटीएस) बनाए जाएंगे। इन एमटीएस के निर्माण के लिए नगर निगम ने एजेंसी चयनित कर ली है। दरअसल, बायो डायजेस्टर प्लांट में ठोस कचरे के अतिरिक्त घ से निकले गीले एवं जैविक कचरे को भी समाहित किया जाना है।
झीरी और खादगढ़ा में बनेगा मैटेरियल रिकवरी फैसिलेंटी सेंटरबायो डायजेस्टर प्लांट बनने के बाद शहर के झीरी एवं खादगढ़ा में मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर भी बनाया जाएगा। यहां सूखे एवं गीले कचरे को अलग किया जाएगा। कचरे को अलग करने के बाद झीरी स्थित डंपिंग यार्ड में कचरे को भेज दिया जाएगा। वहां बायो गैस के साथ-साथ जैविक खाद भी बनाई जाएगी। गौरतलब है कि बायो डायजेस्टर प्लांट में गेल इंडिया की मदद से हर दिन 700 टन कचरा गलाया जाएगा। इससे 28 हजार किलो कंप्रेस्ड बायोगैस बनेगी। इस गैस का इस्तेमाल वाहनों एवं रसोई गैस के रूप में किया जाएगा।
बायोगैस में 1500 पार्ट्स प्रति मिलियन से अधिक होती है हाईड्रोजन सल्फाइडबायोगैस में हाईड्रोजन सल्फाइड की मात्रा 1500 पार्ट्स प्रति मिलियन से अधिक रहती है। ऐसे में गैस में से सल्फर को अलग किया जाता है। फिर गैस को सीएनजी के लिए उपयुक्त बनाने के लिए उसे अपग्रेड किया जाता है। बायो सीएनजी में 92 से 92 प्रतिशत मिथेन और 2 प्रतिशत कार्बन डायऑक्साइड होती है, जबकि बायोगैस में 55 से 65 प्रतिशत मिथेन और 34-45 प्रतिशत कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा रहती है। बायोगैस में मिथेन और कैलोरिफिक अधिक एवं नमी कम रहने से यह गाड़ियों के ईंधन के लिए उपयुक्त रहती है।
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