यहां ऐसी 'रामधुन' बजी कि झारखंड की ये लोकसभा सीट 'राम' की हो गई, जीते-हारे राम-राम

अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भी हो चुकी है। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में हम आपके सामने एक ऐसी सीट का जिक्र कर रहे हैं, जहां पर पिछले 57 वर्षों से राम नाम की धुन है। यहां का गणित ऐसा है कि या तो राम नाम का प्रत्याशी चुनाव जीतता है, या दूसरे नंबर पर रहता है।

पलामू में राम-राम

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो..., राम-राम रटते-रटते बीती रे उमरिया...राम नाम के हीरे-मोती, मैं बिखराऊं गली-गली... अब आप सोच रहे होंगे कि राम भजन क्यों लिखे जा रहे हैं। दरअसल यह राम भजन इसलिए याद आ रहे हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण में एक ऐसी सीट पर भी चुनाव है जहां के लोग पिछले 57 वर्षों से रामधुन पर थिरक रहे हैं। यहा के कई बुजुर्ग मतदाता तो 'राम-राम रटते-रटते बीती रे उमरिया' गा ही सकते हैं। इसके अलावा बाकी मतदाता पायो जी मैंने राम रतन धन पायो और राम नाम के हीरे-मोती, मैं बिखराऊं गली-गली गा सकते हैं। क्योंकि यहां 57 वर्षों से राम नाम के प्रत्याशी जीत की धुरी बने हुए हैं।

बात हो रही है झारखंड की पलामू सीट की, जिस पर लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को मतदान होना है। इस सीट पर प्रत्याशी राम-राम से आगे निकल चुके हैं, यहां जीते तो राम और हारे तो भी राम वाली स्थिति है। पिछले 57 वर्षों में हुए 15 लोकसभा चुनाव में यहां 9 बार राम नाम के प्रत्याशी जीते हैं। आश्चर्यजनक ये है कि जिन 6 बार किसी अन्य नाम के उम्मीदवार जीते, तब राम नाम का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा।

57 वर्षों की रामधुनझारखंड की पलामू सीट पर साल 1967 में राम धुन की शुरुआत हुई। 1967 से अब तक इस सीट पर लगातार राम नाम घूम रहा है। तब से अब तक इस सीट के लिए 15 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, इनमें से 9 बार राम नाम के उम्मीदवार को जीत मिली है। इनमें से 6 बार उन उम्मीदवारों को जीत मिली, जिनके नाम में राम नहीं था। हालांकि, पांच बार भी राम नाम का उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा। तीन अवसर ऐसे भी आए, जब जीतने वाले और हारने वाले दोनों के नाम में 'राम' था।

पीएम मोदी की अपीलज्यादातर बार पलामू सीट पर जीतने वाले के नाम के आगे उपनाम में 'राम' लगा होता है। 4 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां अपने उम्मीदवार के लिए जनसभा की थी। यहां पीएम मोदी ने भी मंच से अपील कर दी कि सभी लोग रामगुन गाते हुए उत्साह और उल्लास के साथ घर से निकलें और मतदान करें। बता दें कि भाजपा ने इस बार भी मौजूदा सांसद विष्णु दयाल राम को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। वीडी राम साल 2014 और 2019 में भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं।

पलामू लोकसभा सीट

तस्वीर साभार : Times Now Digital

राम की शुरुआतपलामू सीट का इतिहास देखें तो साल 1957 में कांग्रेस नेता गजेंद्र प्रसाद सिन्हा पलामू से चुनाव जीते और छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी के रामावतार शर्मा दूसरे नंबर पर रहे। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने जे. राम को अपना प्रत्याशी बनाया। यह पहली बार था जब कोई राम उपनाम वाला व्यक्ति यहां से चुनाव लड़ा। कांग्रेस उम्मीदवार कमला कुमारी ने 1967 का चुनाव जीता और जे. राम दूसरे नंबर पर रहे। साल 1971 में भी कांग्रेस प्रत्याशी कमला कुमारी ने जीत दर्ज की और दूसरे नंबर पर भारतीय जनसंघ के रामदेव राम रहे।

1977 के लोकसभा चुनाव में कमला कुमारी फिर मैदान में थीं, लेकिन भारतीय लोक दल के प्रत्याशी रामधनी राम ने उन्हें पटखनी दे दी। 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी कमला कुमारी एक बार फिर चुनाव जीतीं और रामधनी राम चुनाव हार गए। बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके रामसुंदर दास 1984 के चुनाव में पलामू से जनता पार्टी के उम्मीदवार थे, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी कमला कुमारी के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1989 में भाजपा ने रामदेव राम को अपना उम्मीदवार बनाया, जबकि जनता दल ने जोरावर राम को मैदान में उतारा। यहां जोरावर राम को जीत मिली और रामदेव राम दूसरे नंबर पर रहे।

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