Ranchi RIIMS: रांची में इंसानियत शर्मसार, रिम्स में शव देने की एवज में कर्मचारी ने लिए पांच हजार
Ranchi RIIMS: रांची स्थित रिम्स अस्पताल अपनी मनमानी को लेकर फिर सुर्खियों में है। इस बार अस्पताल के कर्मचारी पर शव देने की एवज में रुपए लेने का आरोप लगा है। पीड़ित परिवार ने इसकी शिकायत भी की है। शिकायतकर्ता का कहना है कि, कर्मचारी को 5000 रुपए देने के बाद उन्हें शव दिया गया। अब परिजन डेथ सर्टिफिकेट के लिए रिम्स अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं।
रांची के रिम्स अस्पताल पर फिर लगा गंभीर आरोप
मुख्य बातें
- सिमडेगा जिले के सिलिंगा गांव निवासी हिरसाय गोंड की रिम्स में हुई थी मौत
- मृतक के भाई मनसाय गोंड ने न्यूरो सर्जरी विभाग के कर्मी पर रुपए लेने का लगाया है आरोप
- आरोप है कि बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट भी नहीं दिया गया है
Ranchi Latest News: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में पैसे लेने के बाद मृतक के परिजनों को शव दिया जा रहा है। शव देने के बदले 5000 रुपए लिए जा रहे हैं। सिमडेगा जिले के सिलिंगा गांव निवासी 55 साल के हिरसाय गोंड की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। हिरसाय गोंड के भाई मनसाय गोंड ने रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के एक कर्मचारी पर शव देने के बदले 5000 रुपए लेने का आरोप लगाया है। मनसाय का कहना है कि, 22 अक्टूबर को सड़क हादसे में उनके भाई हिरसाय गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
इसके बाद आनन-फानन में उन्हें सिमडेगा सदर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। यहां घायल की नाजुक स्थिति देखकर डॉक्टर ने उन्हें 23 अक्टूबर को रिम्स रेफर कर दिया था। रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में उनका इलाज चल रहा था। यहां 28 अक्टूबर की रात 2 बजे उनकी मौत हो गई थी।
एक रजिस्टर में करवाया था हस्ताक्षर
मृतक के परिजनों का कहना है कि, वार्ड में तैनात कर्मचारी से उन लोगों ने शव देने की मांग की थी। इस पर कर्मचारी ने 5000 रुपए मांगे। काफी गुहार लगाने के बाद भी कर्मचारी ने शव सुपुर्द नहीं किया तो उन लोगों ने उसे 5000 रुपए दे दिए। मनसाय के मुताबिक, कर्मचारी ने एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी करवाया था, लेकिन बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट नहीं दिया गया।
अब डेथ सर्टिफिकेट के लिए अस्पताल के चक्कर काट रहे परिजनमृतक हिरसाय गोंड का बेटा चैतू, दामाद बीरेंद्र मांझी और भाई मनसाय गोंड अब डेथ सर्टिफिकेट के लिए रिम्स के चक्कर काट रहे हैं। इन लोगों ने रिम्स के चिकित्सा उपाधीक्षक डॉ. शैलेश त्रिपाठी को आवेदन लिखकर दिया है। इस पर चिकित्सा उपाधीक्षक ने कर्मचारियों से वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के बाद आगे कार्रवाई एवं मदद करने का आश्वासन दिया है। डॉ. शैलेश त्रिपाठी का कहना है कि, अस्पताल प्रबंधन की ओर से अनाउंसमेंट करके दलालों से सावधान रहने की चेतावनी दी जा रही है। इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों से यहां इलाज कराने के लिए आने वाले दलालों के झांसे में आकर ठगी के शिकार हो रहे हैं। ताजा मामले में चिकित्सा उपाधीक्षक ने सुरक्षा सुपरवाइजर को पूरे मामले की जानकारी लेकर रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है।
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