वो खूनी 9 जनवरी! जब यहां भी हुआ 'जलियांवाला बाग कांड', अंग्रेजी सेना ने किया था कत्लेआम; 400 जाबांज हुए थे बलिदान

झारखंड में डोंबारी बुरू पहाड़ी पर 9 जनवरी 1900 में 'जलियांवाला बाग' जैसा नरसंहार हुआ था। स्टेट्समैन के 25 जनवरी 1900 के अंक में छपी खबर के मुताबिक, इस लड़ाई में करीब 400 लोग मारे गए थे। आज झारखंड सरकार नरसंहार की 125वीं बरसी पर लोगों का जमावड़ा लगा रहा।

डोंबारी बुरू पहाड़ी

रांची: भारत की आजादी की लड़ाई का जो इतिहास हम किताबों में पढ़ते हैं, उसमें जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंग्रेजी हुकूमत का सबसे क्रूर और सबसे बड़ा नरसंहार बताया जाता है। लेकिन, सच तो यह है कि झारखंड की डोंबारी बुरू पहाड़ी पर अंग्रेजी सेना ने जलियांवाला बाग से भी बड़ा कत्लेआम किया था। गुरुवार को डोंबारी बुरू नरसंहार की 125वीं बरसी मनाई गई और इस मौके पर पहाड़ी पर बने शहीद स्तंभ पर सैकड़ों लोगों ने शीश नवाया।

9 जनवरी 1900 में हुआ कत्लेआम

वह 9 जनवरी 1900 की तारीख थी, जब इस पहाड़ी पर विद्रोही आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के नेतृत्व में सैकड़ों मुंडा आदिवासी जुटे थे। बिरसा मुंडा ने झारखंड के एक बड़े इलाके में अंग्रेजी राज के खात्मे और ‘अबुआ राज’ यानी अपना शासन का ऐलान कर दिया था। उनसे घबराई अंग्रेजी हुकूमत ने उस रोज पहाड़ी पर जुटे लोगों को घेरकर भीषण गोलीबारी की थी। मुंडा आदिवासियों ने तीर-धनुष से उनका जवाब दिया था। झारखंड में जनजातीय इतिहास के अध्येताओं और शोधकर्ताओं का कहना है कि इस नरसंहार में चार सौ से ज्यादा लोग मारे गए थे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, ''देश की आजादी और हक-अधिकार की लड़ाई में झारखंड के असंख्य वीर पुरखों ने अपना बलिदान दिया है। लेकिन, इतिहास के पन्नों में इन बलिदानों को कहीं भुला दिया गया। हमें साथ मिलकर अपने वीर पुरखों के बलिदानों को उचित स्थान दिलाना होगा। डोंबारी बुरु गोलीकांड की घटना ऐसी ही एक वीभत्स घटना है, जहां झारखंडी अस्मिता, हक-अधिकार और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लोहा लेते हुए हमारे असंख्य वीर पुरखों ने बलिदान दिया था। हमारे वीर पुरखों के बलिदान को कभी भूलने नहीं दिया जाएगा। डोंबारी बुरु गोलीकांड के अमर वीर शहीदों की शहादत को शत-शत नमन।

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