Ranchi daughter win Kedarkantha Track: रांची की बेटी ने 19,500 फीट की ऊंचाई पर लहराया तिरंगा, इस पर्वत शिखर को किया फतह
Ranchi daughter win Kedarkantha Track: इरादे पक्के रहने पर पर्वत भी बहुत छोटा हो जाता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रांची की एक बेटी ने। संतोषी कुमारी ने उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी तक का सफर तय किया है। इस पर्वत शिखर पर चढ़कर उन्होंने तिरंगा लहराया है। पर्वत की ऊंचाई 19500 मीटर है।
हिमालय रेंज का केदारकंठा ट्रैक
- हिमालय रेंज का केदारकंठा ट्रैक किया पूरा
- ढाई दिनों में संतोषी ने फतह किया पर्वत
- पर्वत के शिखर पर पहुंचकर 11 बार किया सूर्य नमस्कार
Ranchi daughter win
इन्होंने केवल ढाई दिनों में इस ट्रैक को पूरा कर लिया। संतोषी का कहना है कि ट्रैकिंग के दौरान ऑक्सीजन की कमी महसूस हुई थी। ऐसे में बीच-बीच में उन्होंने कैंप किया। केदारकंठा ट्रैकिंग समिट के शिखर पर पहुंचने के बाद इन्होंने सबसे पहले 11 बार सूर्य नमस्कार किया। फिर अपनी कामयाबी की खुशी में तिरंगा लहराया।
हनुमान टिब्बा पर्वत श्रृंखला पर कर चुकी हैं ट्रैकिंगसंतोषी के मुताबिक वह इससे पहले साल 2011 में हनुमान टिब्बा पर्वत श्रृंखला पर ट्रैकिंग कर चुकी हैं। संतोषी ने ट्रैकिंग से पहले एक एकेडमी में 21 दिनों की ट्रेनिंग ली थी। बता दें रांची यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ योगा में संतोषी सहायक प्राध्यापक हैं। इसके अतिरिक्त नेशनल योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन की जज हैं। आयुष विभाग से भी जुड़ी हुई हैं। संतोषी मूल रूप से गुमला जिले के घाघरा की रहने वाली हैं। इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की है।
इन बेटियों ने भी किया है पर्वत फतहइससे पहले भी रांची की बेटियां नाम रोशन कर चुकी हैं। रांची की डॉ. शिप्ती श्रद्धा सिंह ने अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो को फतह किया है। यह पर्वत 5895 मीटर ऊंचा है। डेढ़ साल पहले डॉ. शिप्ती ने यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर एलब्रुस पर तिरंगा लहराया था। यह पर्वत रूस और जॉर्जिया की सीमा पर है। इनकी टीम में तीन लोग थे। शिप्ती के अलावा राजस्थान के अनिल कुमार और कोलकाता के कृष्णा इंदू दास थे। इनके अलावा जमशेदपुर निवासी अस्मिता दोरजी ने दुनिया के आठवें सबसे ऊंचे पर्वत मनास्लु को फतह कर रखा है। यह पर्वत 8163 मीटर ऊंचा है।
एवरेस्ट फतह करने का प्रयास कर चुकी हैं अस्मिताअस्मिता टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में सीनियर इंस्ट्रक्टर हैं। अस्मिता दोरजी ने 26 दिनों की ट्रैकिंग के बाद पर्वत को फतह किया था। अस्मिता इससे पहले एवरेस्ट पर चढ़ाई की कोशिश की थीं, लेकिन सफल नहीं हो सकी थीं। इन्होंने एवरेस्ट एक्सपीडिशन के दौरान 8749 मीटर की ऊंचाई पूरी की थी। वो भी बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के यह यात्रा पूरी की थी।
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