Supreme Court से झारखंड सरकार को झटका, निशिकांत दुबे, अर्जुन मुंडा समेत 28 BJP नेताओं के खिलाफ याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट से झारखंड सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी समेत 28 नेताओं के खिलाफ झारखंड सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, भाजपा सांसद संजय सेठ सहित 28 भाजपा नेताओं के खिलाफ झारखंड सचिवालय घेराव के मामले में दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट द्वारा निरस्त करने के आदेश को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका (एसएलपी) सोमवार को खारिज कर दी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने इस एसएलपी की सुनवाई के दौरान, देश में विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन की ओर से बार-बार दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 का इस्तेमाल किए जाने पर तल्ख टिप्पणी की।

कोर्ट ने कहा, ‘एक सामान्य प्रवृत्ति बन गई है कि कोई विरोध प्रदर्शन हो रहा है, तो उसे रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 का आदेश जारी कर दिया जाता है। इससे गलत संदेश जाएगा। यदि कोई प्रदर्शन करना चाहता है तो धारा 144 लगाने की आवश्यकता क्या है? यह तो धारा 144 का दुरुपयोग है। झारखंड सचिवालय के घेराव के मामले में भाजपा के नेताओं के खिलाफ 11 अप्रैल 2023 को एफआईआर हुई थी। उस दिन भाजपा ने तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार की विफलताओं के खिलाफ सचिवालय घेराव का आह्वान किया था। इसे देखते हुए पुलिस ने सचिवालय और आसपास के इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी थी।

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस का इस्तेमाल किया था। उन पर लाठी चार्ज भी हुआ था। इस दौरान रांची का धुर्वा चौक करीब पौने दो घंटे तक रणक्षेत्र बना रहा था और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस प्रकरण को लेकर रांची जिला प्रशासन के कार्यपालक दंडाधिकारी उपेंद्र कुमार के बयान पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोपियों पर उपद्रव करने, दंगा भड़काने, सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, अपराध के लिए उकसाने और दूसरे व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।

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