गजब है ये राज्य, 103 स्कूलों में सिर्फ 22 टीचर और वो भी भूतों को पढ़ा रहे, एक भी स्टूडेंट नहीं

स्कूल की रौनक वहां पढ़ने वाले छात्रों से होती है। लेकिन झारखंड में 103 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें एक भी स्टूडेंट नहीं है। आश्चर्यजनक बात ये है कि इनमें से 13 स्कूलों में कुल 22 टीचर्स भी नियुक्त हैं। कुछ में अन्य स्टाफ भी मौजूद है। चलिए जानते हैं इस बारे में -

झारखंड के 103 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं (फोटो - मेटा AI)

एक स्कूल की बात आते ही, सबसे पहले पढ़ाई करते बच्चे और फिर स्कूल टीचर्स की तस्वीर सामने आती है। इसके बाद स्कूल की बिल्डिंग और अन्य सुविधाओं के बारे में सोचा जाता है। आपने हमारे देश में ऐसे टीचर्स के बारे में भी सुना होगा, जो स्कूल जाते ही नहीं हैं, बल्कि अपनी जगह किसी अन्य को अटेंडेंस लगाने भेज देते हैं। लेकिन झारखंड अनोखा राज्य है। यहां 103 स्कूलों को भुतहा कहा जा सकता है, क्योंकि इनमें कोई पढ़ने वाला नहीं नहीं है। यानी यहां स्टूडेंट आते ही नहीं। यही नहीं इनमें से ज्यादातर स्कूलों में तो पढ़ाने वाला यानी टीचर भी नहीं हैं। कुछ स्कूलों में 2-3 टीचर हैं, लेकिन स्टूडेंट एक भी नहीं। चलिए जानते हैं -

स्थानीय अखबार प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में कुल 103 स्कूल बिना स्टूडेंट्स के चल रहे हैं। यही नहीं इनमें से कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें टीचर हैं, उन्हें सैलरी भी मिलती है। यहां कई हाई-स्कूल हैं, जिनमें एक भी छात्र नहीं है। मतलब न पढ़ने वाले हैं और न ही पढ़ाने वाले, फिर भी स्कूल हैं।

103 में से 13 में टीचर हैं, स्टूडेंट्स नहींजिन 103 स्कूलों में एक भी स्टूडेंट नहीं हैं, उनमें से 13 ऐसे हैं जिनमें टीचर नियुक्त हैं। इन 13 स्कूलों में कुल 22 शिक्षक काम करते हैं। यहां 3 स्कूल तो ऐसे हैं, जिनमें एक-दो नहीं बल्कि, तीन-तीन टीचर की नियुक्ति हो रखी है। तीन स्कूलों में दो-दो टीचर हैं और बाकी के स्कूलों में 1-1 टीचर नियुक्त है। अब सोचने वाली बात ये है कि जब स्टूडेंट्स हैं ही नहीं, तो ये टीचर्स पढ़ाते किसको होंगे...?

सैलरी पर पांच लाख रुपये खर्चइन स्कूलों में सहायक शिक्षक यानी पारा टीचर्स और टीचर्स हैं, जिन्हें 22 हजार से 70 हजार रुपये तक की सैलरी मिलती है। टीचर्स के औसत वेतन को अगर 30 हजार रुपये भी माल लिया जाए तो सरकार इन टीचर्स को हर महीने 5 लाख रुपये से ज्यादा सैलरी दे रही है, लेकिन जिन छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी इन्हें दी गई है, वही नदारद हैं। इन विद्यालयों में से कई में अन्य कर्मचारी भी नियुक्त हैं। वैसे बता दें कि यह सभी अपग्रेडिड स्कूल हैं, जिन्हें प्राइमरी या हाईस्कूल में अपग्रेड किया गया है।

10 लाख में बना दो कमरों का स्कूलझारखंड में इन सभी स्कूलों के भवन निर्माण कार्य 2018-19 में ही पूरा हो चुका है। इसके बाद से केंद्र ने राज्य को स्कूल भवन निर्माण के लिए राशि देना बंद कर दिया था। बता दें कि राज्य में दो कमरे के स्कूल भवन के निर्माण पर 10 लाख रुपये के खर्च का प्रावधान है। इन 103 में से करीब 50 फीसद मिडिल स्कूल और कुछ हाईस्कूल भी हैं। इन स्कूलों की बिल्डिंग को बनाने में 10 से 20 लाख रुपये तक खर्च हुए हैं।

6 हजार स्कूलों में 10 लाख स्टूडेंटसिक्के का दूसरा पहलू ये है कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में प्राइवेट स्कूल धड़ल्ले से खुल रहे हैं, जिन्हें मान्यता प्राप्त भी नहीं है। इन स्कूलों में किसी तरह का कोई मापदंड पूरा नहीं किया जाता है। केंद्रीय रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल 44 हजार, 855 स्कूलों में से 6281 ऐसे ही गैर मान्यता प्राप्त स्कूल हैं। इन्हें राज्य या केंद्र किसी से भी मान्यता प्राप्त नहीं है। हैरानी की बात तो ये है कि इन स्कूलों में 10 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं।

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