Govardhan Puja 2023: श्री कृष्ण ने क्यों चकनाचूर कर दिया था इंद्र का अभिमान, जानिए गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
Govardhan Puja 2023: द्रिक पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 6:43 बजे से लेकर 08:52 बजे के बीच है। गोवर्धन पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है। मान्यता के अनुसार, देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची। भगवान की लीला के आगे देवराज कैसे नतमस्तक हुए ये भी जानिए।
कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा
Govardhan Puja 2023: दिवाली के अगले दिन कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस साल 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी। इस दिन गिरिराज यानी गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन को कहीं-कहीं अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन अन्नकूट का भोग लगाने की परंपरा भी है। इस दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और पशुधन की आकृति बनाई जाती है और विधि-विधान से पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा की कथा द्वापर युग से जुड़ी है। लिहाजा, आज आपको गोवर्धन पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त के अलावा ये बताएंगे की भगवान कृष्ण ने कैसे इंद्र का अभिमान तोड़ा था।
गोवर्धन पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है। मान्यता के अनुसार स्वर्गलोक के राजा देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची। भगवान की लीला के आगे देवराज कैसे नतमस्तक हुए ये भी जानिए।
इंद्र की पूजा क्योंपौराणिक मान्यता के अनुसार द्वापर युग में एक दिन सभी ब्रजवासी तरह-तरह के पकवान बना रहे थे। वृंदावन में पूजा का मंडप सजाया जा रहा है और सभी लोग प्रातः काल से ही पूजन की सामाग्री एकत्रित करने में व्यस्त हैं। तब नटखट श्री कृष्ण ने माता योशदा से पूछा कि मईया ये आज सभी लोग किसके पूजा अर्चना की तैयारी कर में जुटे हैं। इस पर मईया यशोदा ने कहा कि ये सभी ब्रजवासी इंद्र देव के पूजन की तैयारी कर रहे हैं। तब कन्हा ने कहा कि सभी लोग इंद्रदेव की पूजा क्यों कर रहे हैं? इस पर माता यशोदा कहती हैं कि इंद्रदेव की पूजा करने से वर्षा होती है और इससे अन्न की पैदावार अच्छी होती है और हमारी गायों को चारा प्राप्त होता है।
कृष्ण की बात मान फंसे ब्रजवासीतब कृष्ण ने कहा कि वर्षा करना तो इंद्रदेव का प्रथम कर्तव्य है। यदि पूजा करनी है तो हमें गोवर्धन पर्वत की करनी चाहिए। चूंकि वहां हमारी गायें चरती हैं और हमें फल-फूल, सब्जियां आदि भी गोवर्धन पर्वत से ही प्राप्त होती हैं। इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इस बात से देवराज इंद्र ने खुद को अपमानित समझा। लिहाजा, क्रोध में आकर इंद्र ने मेघ को वृंदावन में भारी बारिश का आदेश दे दिया। इंद्र के आदेश पर मेघ ने प्रलयदायक मूसलाधार बारिश शुरू कर दी, जिससे चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। सभी अपने परिवार और पशुओं को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। तब ब्रजवासी कहने लगे कि ये सब कृष्णा की बात मानने का नतीजा है। अब हमें इंद्रदेव का कोप सहना पड़ेगा। अब हम सब कहीं मारे न जाएं।
7 दिन तक मूसलाधार बारिशबारिश से भयभीत गोपियां-ग्वाले श्रीकृष्ण की शरण में गए और रक्षा की प्रार्थना करने लगे। श्रीकृष्ण बोले-तुम सब गोवर्धन-पर्वत की शरण में चलो। वह सब की रक्षा करेंगे। तब सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली। श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर छाते-की तरह तान दिया। गोप-ग्वाले सात दिन तक उसी की छाया में रहकर अतिवृष्टि से बच गए। लगातार 7 दिन तक मूसलाधार बारिश करने के बाद इंद्र को एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं है। वो तुरंत ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और पूरी बात बताई। ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि कृष्ण कोई साधारण मानव नहीं हैं वो स्वयं श्रीहरि हैं। यह सुन इंद्र को खुद लज्जा आई और उन्होंने तुरंत कृष्ण जी से क्षमा याचना की। देवराज इंद्र ने ही मुरलीधर कृष्ण की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा कि अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो। तभी से यह पर्व गोवर्धन पूजा के रूप में प्रचलित है।
कैसे की जाती है गोवर्धन पूजागोवर्धन पूजा के लिए अपने कुल देव का या कुल देवी का ध्यान करिए और पूजा के लिए गाय के गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत तैयार कीजिए। मतलब गोबर से आपको गोवर्धन पर्वत बनाना है और इसे लेटे हुए पुरुष की आकृति में बनाया जाता है। इसके बाद इन्हें फूल, पत्ती, टहनियों एवं गाय की आकृतियों से या फिर आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे किसी भी आकृति से सजा लीजिए।
पूजा काल मुहूर्तद्रिक पंचांग के अनुसार, शुभ गोवर्धन पूजा प्रातः काल मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 6:43 बजे से 08:52 बजे के बीच है। ऐसे में गोवर्धन पूजा के लिए दो घंटे नौ मिनट तक पूजा का मुहूर्त रहेगा।
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