Jodhpur News: 14 सालों से जोधपुर पुलिस की कैद में है 'लाल सोना', जानें कैसे वनों से थाने तक पहुंची ये चंदन की लकड़ियां

जोधपुर के झंवर थाने में 14 सालों से लाल सोना यानी चंदन की लकड़ी पड़ी हुई है। जिसकी कीमत 60 करोड़ से अधिक है। इस पर हर समय 10 कॉन्स्टेबल पहरा देते हैं। राजस्थान सरकार इसका निपटारा अभी तक नहीं कर पाई है।

Red sandalwood

जोधपुर में लाल चंदन

मुख्य बातें
  • 14 साल से जोधपुर की बैरक में बंद 'लाल सोना'
  • दिन-रात पहरा देते हैं 10 कॉन्स्टेबल, करते है निगरानी लाल सोने की
  • बाजार कीमत 60 करोड़ से ज्यादा, GST ने अटकाया मामला
Red Sandalwood in Jodhpur: जोधपुर पुलिस की गिरफ्त में है लाल सोना (चंदन की लकड़ी)। 14 साल से 60 करोड़ से अधिक का यह लाल सोना जोधपुर के झंवर थाने में पड़ा है। इसकी सुरक्षा में 10 कॉन्स्टेबल हर समय तैनात रहते हैं। पुलिस ने कई बार इसके निपटारे का प्रयास किया। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय नियम आड़े आ गए और 60 लाल सोना मुक्ति की बात जोह रहे है। थाने में पुलिस की पहरेदारी में 14 सालों से यह सोना यूं ही कोना पकड़े पड़ा है। वजह- इस लकड़ी की खरीद-बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबन्ध। इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचर रेड डेटा बुक में लाल चंदन प्रतिबंधित है। इसे खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है। राजस्थान सरकार ने इसे 18 परसेंट GST के साथ आंध्र प्रदेश को लौटाना चाहा तो वहां की सरकार ने GST देने से मना कर दिया। तर्क था कि पूरे विश्व में इसका एकमात्र उत्पादक आंध्र प्रदेश है तो हम अपने ही माल का GST क्यों दें।

गोदाम से जब्त हुआ था लाल चंदन

झंवर थानाधिकारी मूलाराम चौधरी ने बताया- झंवर के तत्कालीन थानाधिकारी लाखाराम ने 14 जून 2010 को बोरानाडा स्थित फर्नीचर गोदाम में दबिश देकर लाल चंदन की 2031 लकड़ियां जब्त की थीं। इनका वजन 40,390 किलो था। इन लकड़ियों को ट्रक से झंवर थाने में लाया गया। वैसे तो जब्ती का माल थाने में रखा जाता है लेकिन ज्यादा होने के कारण इन्हें बैरक में रखा गया। इसी थाने में 14 सालों से पुलिसकर्मी इस लकड़ी की सुरक्षा कर रहे हैं। चौधरी ने बताया- वर्तमान में थाने में 5 हेड कॉन्स्टेबल 22 कॉन्स्टेबल हैं। 10 कॉन्स्टेबल हर समय थाने में रहते हैं, जो इसकी देखरेख करते हैं।

राजस्थान और आंध्र प्रदेश सरकार के बीच अटका मामला

पुलिस के अनुसार 2018 में कोर्ट के माध्यम से नीलामी के लिए याचिका लगाई थी। जिस पर स्टे लगा दिया गया। वजह थी इस लकड़ी का प्रयोग भारत में बैन है। इसके बाद आखिरी बार 20 सितंबर 2021 को राजस्थान सरकार ने वन अधिकारी, पुलिस, आयकर, कस्टम सहित अन्य संबंधित अधिकारियों की एक कमेटी गठित कर इसके निपटारे का आश्वासन दिया था। लेकिन कमेटी गठित नहीं हो पाई। इसके बाद से ही अब मामला राजस्थान सरकार और आंध्र प्रदेश सरकार के बीच अटका है। राजस्थान सरकार यदि दूसरे राज्य को देती है तो उस राज्य को 18% जीएसटी देना होगा। वर्तमान के हिसाब से आंध्र सरकार को 10 करोड़ 80 लाख की जीएसटी चुकानी होगी। वर्तमान में लाल चंदन की लकड़ी कम से कम दस हजार क्यूबिक फीट कीमत होती है।

लाल चंदन लड़की की तस्करी

2016 से 2020 के दौरान 19,049 टन से ज्यादा रक्त चंदन की लकड़ी की तस्करी की गई थी। सीआईटीईएस ट्रेड डेटाबेस ने ऐसे 28 घटनाएं दर्ज की हैं। 2 फरवरी, 2023 को जारी आंकड़ों के अनुसार, चीन इसका सबसे बड़ा आयातक है। अवैध रूप से निर्यात की गई इस लकड़ी का करीब 53.5 फीसदी हिस्सा चीन को भेजा गया था। लेकिन जोधपुर में पड़ा यह लाल सोना 14 वर्षों से निस्तारण की राह तक रहा है।
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Bhanwar Pushpendra author

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