Shambhu Border: कहां है शंभू बॉर्डर? आखिर क्यों बना है किसान आंदोलन का केंद्र

Shambhu Border Kisan Andolan Center: किसान आंदोलन 2.0 का मुख्य केंद्र शंभू बॉर्डर बना है। पिछले दो दिनों से किसानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच जारी संघर्ष से बॉर्डर जंग का मैदान बना हुआ है। आइये जानते हैं ये बॉर्डर कहां है (Where is Shambhu Border) और क्यों किसान प्रदर्शन के लिए मुख्य केंद्र (Shambhu Border center of Kisan Andolan) के रूप में चुना गया है। सिर्फ शंभू बॉर्डर पर बवाल क्यों

Kisan Andolan Shambhu Border

जानें कहां है शंभू बॉर्डर

Kisan Andolan Shambhu Border: देश का किसान आज सड़कों पर है। खासकर, हरियाणा पंजाब समेत संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के वास्ते कानून बनाने और कर्ज माफी सहित अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए 'दिल्ली चलो' मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों प्रमुख राज्यों से भारी संख्या में किसान दिल्ली का रुख कर रहे हैं, जिन्हें रोकने के लिए दिल्ली से सटे राज्यों की सीमाओं पर अवरोधक लगा दिए गए हैं, ताकि किसान आगे न बढ़ सकें। खासकर, सिंघु (दिल्ली-सोनीपत) और टिकरी सीमा (दिल्ली-बहादुरगढ़), गाजीपुर सीमा और अंबाला के शभू बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा लगा हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में शंभू बॉर्डर है, जहां पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए भारी बैरिकेडिंग कर रखी है, लेकिन किसान जिद पर अड़े हैं। यही कारण है कि मंगलवार और बुधवार को सुरक्षाबलों और किसानों के बीच भारी संघर्ष देखने को मिल रहा है। हालात बिगड़ने पर किसानों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किए तो वहीं जवाबी कार्रवाई में किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए, जिससे हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। तो ये शंभू बॉर्डर किसान आंदोलन( Shambhu Border Kisan Andolan ) के दूसरे चरण में क्यों इतना खास है। आइये जानते हैं ये कहां है और किन दो प्रमुख राज्यों को जोड़ता है?

Shambhu border location: पंजाब-हरियाणा की सीमा है शंभू

शंभू सीमा पंजाब और हरियाणा को विभाजित करती है। यहां उत्तरी राज्य से अधिकांश प्रदर्शनकारी आते हैं। अंबाला जिले के पास शंभू सीमा पड़ती है। इस बार यानी किसान आंदोलन 2.0 का शंभू बॉर्डर केंद्र बना हुआ है। दिल्ली चलो मार्च के आह्वान के बाद यहां पंजाब और हरियाणा से भारी संख्या में किसान पिछले 2 दिन से अड़े हैं। ‘दिल्ली चलो’ मार्च में भाग लेने के लिए पंजाब के कई स्थानों से किसानों का आना जारी है। पंजाब की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी देखी जा रही हैं। सरकार ने बॉर्डर को पूरी तरह सील करने के आदेश दे दिए हैं। लिहाजा, बॉर्डर को पूरी तरह बंद कर दिया है। ऐसे में एक तरफ किसान तो दूसरी तरफ सुरक्षाबल तैनात हैं। किसान लगातार बैरिकेड्स के पास जाने का प्रयास कर रहे हैं। लिहाजा, प्रदर्शनकारी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि जब कुछ किसान शंभू सीमा पर बैरिकेड के पास एकत्र हुए तो हरियाणा पुलिस ने बुधवार सुबह आंसू गैस के कई गोले दागे।

शंभू बॉर्डर: किसानों और सुरक्षाबलों में संघर्ष प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने के लिए दृढ़ हैं। कई युवा किसानों ने शंभू सीमा पर बहुस्तरीय अवरोधक हटाने के लिए अपने ट्रैक्टर तैयार रखे हैं। किसान नेता शंभू सीमा पर बहुस्तरीय बैरिकेड हटाकर ‘दिल्ली कूच’ की अपनी योजना पर आगे बढ़ने से पहले एक बैठक करेंगे। प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले के प्रभाव को कम करने के लिए पानी के टैंकरों की भी व्यवस्था की है। किसान आंसू गैस के गोले के प्रभाव को सीमित करने के लिए पानी की बोतलें और गीले कपड़े भी ले जाते दिखे। कई किसानों ने कहा कि मंगलवार को हरियाणा पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले के कारण उन्हें सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन हुई। सीमा के दो बिंदुओं पर मंगलवार को प्रदर्शनकारी किसानों की हरियाणा पुलिस के साथ झड़प हुई थी। किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे और पानी की बौछार की थी। पुलिस के साथ कई घंटों तक चली झड़प के बाद किसान नेताओं ने दिन भर के लिए विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया था। लेकिन बुधवार को शंभू सीमा पर किसान डटे हुए हैं। हरियाणा पुलिस ने कहा था कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों पर पथराव कर रहे हैं।

मुख्यत: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने 2020 में अपने प्रदर्शन के दौरान सिंघु, गाजीपुर और टिकरी सीमा पर धरना दिया था। वे अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक सीमाओं पर बैठे रहे थे।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

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