यहीं से शुरू हुई थी शिवलिंग की पूजा, अद्भुत शांति का अनुभव होता है यहां

सावन की शुरुआत हो गई है। भगवान शिव के भक्त पूरे सावन शिवलिंग पर जल अर्पित करेंगे और पूजा-अर्चना करेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में शिवलिंग पूजन की परंपरा कहां से शुरू हुई। सबसे पहले कहां शिवलिंग की पूजा हुई थी। चलिए आज आपको उस स्थान के बारे में बताएं जहां शिवलिंग पूजा सबसे पहले शुरू हुई थी।

जागेश्वर धाम मंदिर

इस साल सावन की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हुई है। सावन में महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है। सावन हिंदू धर्म के पवित्र महीनों में से एक है। आज से शुरू होकर सावन 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा। सावन की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है। इस बीच सोमवार को लोग व्रत रखेंगे और पूरे सावन के दौरान शिवलिंग का जलाभिषेक करेंगे। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए कई भक्त भोले बाबा के धाम दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन इस बीच आपने कभी सोचा की शिवलिंग की पूजा भारत में सबसे पहले कहां हुई थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवलिंग के पूजन की परंपरा कहां से शुरू हुई थी। तो चलिए आज सावन के पहले सोमवार के पावन अवसर पर आपको इस स्थान और उसकी खासियत के बारे में बताएं -

जागेश्वर मंदिर से शुरू हुई थी शिवलिंग पूजन की परंपरा

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित जागेश्वर मंदिर भगवान शिव का 2500 वर्ष पुराना मंदिर है। जागेश्वर मंदिर का उल्लेख शिव पुराण, लिंग पुराण, स्कंद पुराण सहित कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। ये मंदिर 1870 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और देवदार के जंगल से घिरा हुआ है। हिमालय के मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों के बीच बसा हुआ जागेश्वर मंदिर छोटे-बड़े 124 मंदिरों का समूह है। यहां स्थित अधिकांश मंदिरों में नागा शैली की वास्तुकला देखने को मिलती है। वहीं कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जिनमें दक्षिण और मध्य भारत के मंदिरों में उपयोग किए जाने वाले पैटर्न देखने को मिलते हैं।

जागेश्वर मंदिर में ही सबसे पहले शिवलिंग की पूजा की गई थी। यह वही मंदिर जहां से शिवलिंग पूजन की परंपरा की शुरुआत हुई थी। बाबा के दर्शन के लिए और शिवलिंग का पूजन करने के लिए पूरे देश से यहां श्रद्धालु आते हैं। इतना ही नहीं माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव और सप्तऋषियों ने तपस्या की थी। 124 छोटे-बड़े मंदिर के साथ कई विभिन्न विशेषताओं से भरा जागेश्वर धाम मंदिर पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है।

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