Indore Cleanest City...आखिर इंदौर ही क्यों बना नंबर वन स्वच्छ शहर, इतने सौ करोड़ खर्च कर बनाया रॉयल मॉडल

Indore Cleanest City: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को सातवीं बार नंबर वन स्वच्छ शहर का खिताब मिला है। हालांकि, इस बार संयुक्त रूप से सूरत भी उसका हिस्सेदार है। जानिए इंदौर शहर को साफ सुथरा रखने के लिए कितने करोड़ रुपये खर्च करता है।

इंदौर को स्वच्छ शहर का अवार्ड

इंदौर: राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण (National Sanitation Survey) में लगातार सातवीं बार अव्वल रहे मध्यप्रदेश के इंदौर में शहरी निकाय की ओर से कचरा प्रबंधन पर हर साल करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। निगम के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।

इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि स्थानीय लोगों से कचरा संग्रहण शुल्क और जुर्माने की वसूली के साथ ही अन्य स्रोतों से इतनी ही राशि सरकारी खजाने में डालने की कोशिश की जा रही है, ताकि स्वच्छता के इस मॉडल को आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाया जा सके। 'वेस्ट टू वेल्थ' की थीम पर केंद्रित वर्ष 2023 के स्वच्छता सर्वेक्षण में अलग-अलग श्रेणियों में देश के 4,400 से ज्यादा शहरों के बीच कड़ी टक्कर थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में दिल्ली में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में इंदौर को सूरत के साथ देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया।

200 करोड़ रुपये खर्च

अधिकारी ने बताया कि हम शहर में अपशिष्ट प्रबंधन पर हर साल करीब 200 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। हम कचरे से कमाई की अलग-अलग मदों में इतनी ही रकम सरकारी खजाने में डालने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि बायो-सीएनजी संयंत्र 'गोबर-धन' को गीला कचरा मुहैया कराने के बदले एक निजी कंपनी की ओर से आईएमसी को हर साल 2.52 करोड़ रुपये की रॉयल्टी दी जाती है। इसके अलावा, निजी कम्पनी शहरी निकाय को प्रचलित बाजार दर से पांच रुपये प्रति किलोग्राम कम दाम पर यह हरित ईंधन बेचती है जिससे सरकारी खजाने को लाभ होता है।

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