राजस्थान में 372 घर चोरी! हाउसिंग बोर्ड की पूरी कॉलोनी गायब, मलबे के ढेर में दबे आशियाने के सपने
राजस्थान के झालावाड़ जिले स्थित अकलेरा कस्बे में हाउसिंग बोर्ड की 'घरौंदा अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम' के तहत खरीदे गए 372 घर चोरी हो गए। जिससे खरीदारों को लंबा चूना लगा है।
घरौंदा अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम के 372 घर चोरी
राजस्थान: रोजाना दुकान, मकान और ज्वेलरी शॉप समेत तमाम चोरी की बड़ी घटनाएं सामने आती हैं, लेकिन राजस्थान से जो मामला सामने आया है वो हैरान करने और चौंकाने वाला है। यहां एक दो चार नहीं बल्कि, 372 घर ही चोर चोरी कर ले गए. तो हैरान मत होइये ये चौंकाने वाला वाकया राजस्थान के झालावाड़ जिले स्थित अकलेरा कस्बे से संज्ञान में आया है। मामला हाउसिंग बोर्ड की 'घरौंदा अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम' का है। इसमें जयपुर के तारिक अहमद ने 2021 में घर खरीदा। वे इस साल जनवरी में इसे देखने गए तो उनका और बाकी घर सही-सलामत थे, लेकिन पिछले सप्ताह गए तो पूरी कॉलोनी ही गायब मिली।
8 महीने में हो गया खेला!
बताया जा रहा है कि 8 महीने में कॉलोनी के 372 घर व 2 पार्क गायब हो गए। मौजूदा वक्त में वहां सिर्फ मलबा ही मलबा है। अब ये घर किसने चोरी किए, इसके बारे में न तो मालिकों को कुछ पता है और न ही हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को इसकी कोई खबर है। इतना ही इतनी सारी कॉलोनी गायब होने की भनक स्थानीय पुलिस को भी नहीं लगी। अकलेरा एसएचओ लक्ष्मी चंद बैरवा के मुताबिक इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है न ही उन्हें अभी तक किसी की ओर से शिकायत दी गई है।
बोर्ड दफ्तर के चक्कर लगा रहे खरीदार
जिन खरीदारों को कॉलोनी गायब होने की जानकारी मिल रही है, वे बोर्ड दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं। कुछ ने शिकायत भी दी है। इसमें लिखा है- हाउसिंग बोर्ड की साख देखकर मकान खरीदे थे, लेकिन अब प्लॉट का भी पता नहीं चल रहा। कई घरों की तो नींव तक गुम गई है। अब खरीदारों की मांग है कि हाउसिंग बोर्ड कम से कम जमीन की फिर से मार्किंग करा दी जाए, ताकि उन्हें पता चल सके कि किसका प्लॉट कहां है।
कॉलोनी जमींदोज, मलबे में दबे घर के सपने
जानकारी के मुताबिक ये घरौंदे थे- 2012-13 में कॉलोनी बनी। कस्बे से दूर होने की वजह से 80% मकान नहीं बिके। 2019 में बोर्ड ने 50% छूट की स्कीम निकाली तो सभी बिक गए। जनवरी-23 तक पूरी कॉलोनी सुरक्षित थी। लेकिन अब पूरी कॉलोनी जमींदोज हो चुकी हैं वहां पर सिर्फ मलबा ही नजर आ रहा है। मलबे के बीच यह भी पता नहीं चल रहा कि किसका प्लॉट कौन सा है। बिजली के खंभे देखकर ऐसा लगता है कि कोई नई कॉलोनी डेवलप हो रही है।
कोटा सर्किल के रेजिडेंट इंजीनियर आरएम कुरैशी के अनुसार झालावाड़ में हाउसिंग बोर्ड का ऑफिस है, लेकिन कोई स्टाफ नहीं है। सुरक्षा करने के लिए गार्ड भी नहीं है। एक सुपरवाइजर थे, जो रिटायर हो चुके हैं। पजेशन लेने के बाद मकान की सुरक्षा की जिम्मेदारी बोर्ड की नहीं, मालिक की होती है। अकलेरा में सभी घरों का पजेशन दिया जा चुका है।
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