तुंगनाथ : सबसे ऊंचे शिव मंदिर में दर्शन और मंदिर की अद्भुत कहानी
गंगा की यात्रा में हमने गंगा के मायके में पंच प्रयागों के दर्शन किए। अब एक बार फिर हम निकल पड़े हैं एक और सफर पर। इस बार सफर भोले की तलाश में है, पंच केदार का है। पंच केदार के इस सफर में आज हमारा पहला पड़ाव दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर यानी तुंगनाथ में है।
तुंगनाथ
हाल ही में हमने पंच प्रयाग (Panch Prayag) के साथ ही गंगा के मायके (Ganga Ke Mayke me) की यात्रा की थी। अब पहाड़ों में भगवान शिव से जुड़े कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र स्थलों की सैर भी करते हैं। भगवान भोले बाबा से जुड़ी जगहों की यात्रा में अपनी यात्रा की शुरुआत पंच केदार (Panch Kedar) से करते हैं। अपनी इस यात्रा में हम पांचों केदार जाएंगे और फिर बोल-बम के जयकारों के साथ अन्य शिवालयों के दर्शन भी आपको कराएंगे। हमारी इस यात्रा का पहला पड़ाव तुंगनाथ (Tungnath) है। जानते हैं तुंगनाथ कहां है? यहां की कहानी क्या है? यहां भोले बाबा के साथ और किन भगवानों के दर्शन कर सकते हैं? यहां कैसे पहुंचे और पंच केदार में यह किस स्थान पर आते हैं? आज यात्रा का शुभ समय भी है, क्योंकि आज ही केदारनाथ (Kedarnath) के कपाट भी खुले हैं।
सबसे ऊंचा शिवालय
तुंगनाथ पंच केदार में से एक है और यह दुनिया में सबसे ऊंचे स्थान पर बना शिवालय यानी शिव मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर समुद्तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर बना है। यहां आकर न सिर्फ आप भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं, बल्कि यहां से हिमालय का अद्भुत नजारा भी कर सकते हैं। यहां से हिमालय की बर्फ से लकदक चोटियों का दृश्य मन मोह लेता है। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और शांत वातावरण शिवमय है और आपको अलग ही दुनिया का अनुभव कराएगा।कितना पुराना है तुंगनाथ मंदिर
तुंगनाथ मंदिर का आधुनिक इतिहास करीब 1000 साल पुराना है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पंच केदारों में यह तीसरा केदार है। यहां पर मिलने वाली शांति, यहां का शांत वातावरण बिल्कुल दूसरी दुनिया का एहसास कराता है। माना तो यह भी जाता है कि कुरुक्षेत्र की लड़ाई में जीत हासिल करने के बाद पांडवों ने इस मंदिर को बनाया था।पंच केदार की कहानी
कुरुक्षेत्र की लड़ाई में अपने ही लोगों का खून बहाने पर भगवान शिव पांडवों से नाराज थे। ऋषि वेद व्यास ने पांडवों से भगवान शिव की शरण में जाने को कहा। पांडव भगवान शिव के दर्शनों के लिए गए, लेकिन भोले बाबा उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे। पांडवों को दर्शन न देकर शिवजी ने बैल का रूप धारण किया और गुप्तकाशी में किसी अदृश्य जगह पर अंतर्ध्यान हो गए। बाद में शिवजी के शरीर के अलग-अलग अंग पांच अलग-अलग जगहों पर बाहर निकले। उन्हीं जगहों को आज पंच केदार कहा जाता है। पांडवों ने इन पांचों जगहों पर भगवान शिव के मंदिर बनाए। यह पांचों जगहें भगवान शिव के अलग-अलग अंग से जुड़ी हैं। तंगुनाथ में भोले बाबा की बाहु यानी हाथ बाहर निकला, केदारनाथ में बंप नजर आया, उनका सिर रुद्रनाथ में, नाभी और पेट मद्यमेहेश्वर और जटाएं यानी बाल कल्पेश्वर में दिखे। इन पांचों केदार में भगवान शिव के इन्हीं रूपों की पूजा भी होती है।ये भी पढ़ें - गंगा के मायके में : ना गौमुख ना गंगोत्री, यहां से शुरू होता है गंगा का सफर, देवों का भी प्रयाग है देवप्रयाग
क्यों जाएं तुंगनाथ मंदिर
तुंगनाथ भगवान भोले शंकर का मंदिर है और यह मंदिर अपने आप में बहुत ही खूबसूरत है। यहां पर भगवान भोले बाबा के साथ ही देवी पार्वती और कुछ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं। आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर की खोज की थी और आज यहां के स्थानीय गांव मक्कू के ब्राह्मण परिवार के पंडित इसकी देखरेख करते हैं। तुंगनाथ मंदिर के कपाट हर साल मई महीने में खुलते हैं और सर्दियों में यहां अत्यधिक ठंड के कारण दर्शन नहीं होते। हर साल विजयदशमी के अवसर पर तुंगनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की घोषणा होती है।सर्दियों में यहां होते हैं दर्शन
सर्दियों में इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा बर्फबारी होती है। इसलिए सर्दियों में भगवान शिव की सांकेतिक मूर्ति को यहां से 19 किमी दूर मुकुटनाथ ले जाया जाता है। मुकुटनाथ में ही सर्दियों के समय तुंगनाथ की पूजा होती है। आड़े-टेढ़े रास्तों, घास के मैदानों और बुरांस के जंगलों के बीच से तुंगनाथ की डोली को मुकुटनाथ पहुंचाया जाता है।तुंगनाथ आएं तो क्या-क्या देखें
तुंगनाथ आ रहे हैं तो भगवान शिव के दर्शन करने के साथ ही आपको यहां की प्राकृतिक खूबसूरती को करीब से निहारना चाहिए। यहां पास में ही चोपटा नामक हिल स्टेशन है, जो ट्रैकिंग के दीवानों के लिए खास है। तुंगनाथ मंदिर से 1-1.5 किमी का ट्रैक करके आप चंद्रशिला भी जा सकते हैं। चंद्रशिला का इतिहास भी बहुत ही समृद्ध है। तुंगनाथ आ रहे हैं तो बता दें कि करीब 170 किमी के दायरे में पांचों केदार यानी पंच केदार (तुंगनाथ, केदारनाथ, रुद्रनाथ, मद्यमहेश्वर और कल्पेश्वर) हैं। आप इन सभी जगह जाकर भगवान शिव का आशीर्वाद ले सकते हैं। तुंगनाथ से चौखंबा, नंदा देवी, नीलकंठ और केदारनाथ पर्वत शिखरों को देख सकते हैं। देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | शहर (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
Digpal Singh author
खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें
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