UP के मेडिकल कॉलेजों में अब हिन्‍दी में भी कर सकेंगे पढ़ाई, MBBS की लगभग सभी किताबें होंगी उपलब्‍ध

UP Medical Colleges: केजीएमयू में फिजियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर कहते हैं कि, जैसे- चीन, रूस व जापान अपने यहां की भाषा में पढ़ाई कराते हैं वैसे ही प्रदेश में एमबीबीएस विषयों की तकरीबन सभी पुस्‍तकें अब हिन्‍दी में भी उपलब्‍ध होंगी।

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मेडिकल की पढ़ाई। (सांकेतिक फोटो)

UP Medical Colleges: उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा के क्षेत्र को छात्र-छात्राओं के लिए सहज और सुगम बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। हाल ही में जहां एक ओर प्राइमरी स्‍कूलों में क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कराने का फैसला लिया गया तो वहीं, अब एक खुशखबरी चिकित्सा संस्थानों के लिए भी आ गई है। दरअसल, सरकार ने अब तय किया है कि मेडिकल कॉलेजों में अध्‍यनरत स्‍टूडेंट्स को हिन्‍दी में माध्‍यम में पढ़ने का भी विकल्प दिया जाएगा। हमारी सहयोगी वेबसाइट नवभारत टाइम्‍स डॉट कॉम के मुताबिक, राज्य के सभी चिकित्सा संस्थानों के प्राचार्यों और फैकल्टी सदस्यों को हिन्‍दी में पढ़ाई शुरू कराने और महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को मासिक अपडेट देने के निर्देश जारी किए गए हैं।

बता दें कि, ये सरकारी आदेश 31 अक्टूबर को जारी एक पत्र के जरिए दिया गया है। हिन्‍दी में पढ़ाई कराने के संदर्भ में महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) किंजल सिंह ने सभी राज्य-संचालित, स्वायत्त मेडिकल कॉलेजों और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) और डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमएलआईएमएस) के अधिकारियों को एक पत्र लिखा है। चीन, रूस और जापान की तर्ज पर लिया गया फैसला

मेडिकल कॉलेजों में हिन्‍दी में पढ़ाई के विकल्‍प से उन स्‍टूडेंट्स को चीजें बेहतर से समझ आएंगी जिन्‍होंने अपनी प्रांरभिक शिक्षा हिन्‍दी भाषा में प्राप्‍त की है। केजीएमयू में फिजियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एनएस वर्मा इस फैसले पर कहते हैं कि, जैसे- चीन, रूस व जापान अपने यहां की भाषा में पढ़ाई कराते हैं वैसे ही प्रदेश में एमबीबीएस विषयों की तकरीबन सभी पुस्‍तकें अब हिन्‍दी में भी उपलब्‍ध होंगी।

पहले से हिन्‍दी का प्रयोग

केजीएमयू में एनाटॉमी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर नवनीत कुमार ने भी इस फैसले पर अपना पक्ष रखा। उन्‍होंने शिक्षकों के हवाले से कहा कि, किसी भी जटिल प्वाइंट को विस्तार से समझाने की चर्चा होते ही वे बच्‍चों को हिन्‍दी में ही समझाते हैं। तकरीबन 60 फीसदी कंटेंट स्‍टूडेंट्स को हिन्‍दी में बताया जाता है, ताकि उन्‍हें चीजें अत्‍यधिक स्‍पष्ट हो सकें कि पढ़ाया क्‍या जा रहा है। केजीएमयू में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर सूर्यकांत ने अंग्रेजी की जरूरत पर कहा कि, स्‍टूडेंट्स को एमबीबीएस के पहले सेमेस्‍टर का सिलेबस शुरू होने से पूर्व ही अंग्रेजी भाषा सिखाई जानी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने हिन्‍दी के पक्ष में ये भी कहा कि, अगर मेडिकल पाठ्यपुस्तकें हिंदी में उपलब्ध होंगी, तो इससे बेहतर शिक्षण में सुविधा होगी।

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शाश्वत गुप्ता author

पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्‍युनिकेशन से Advance PG डिप्लोमा करने के...और देखें

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