यूपी के इस शहर को क्यों कहते हैं आंवला, कैसे पड़ा ये नाम, जानिए वजह

यूपी का जब भी जिक्र होता है तो इसके साथ ही यहां की संस्कृति,परंपराओं और समृद्ध इतिहास भी लोगों के जहन में घूमने लगता है। यह कई मायनों में खास है। यहां के शहरों की भी अपनी अलग-अलग खासियत हैं। उन्हीं शहरों में से एक है आंवला। आंवला का इतिहास काफी पुराना और गौरवशाली है।आइए जानते हैं आंवाल शहर से जुड़ी खास बातें-

उत्तर प्रदेश, आंवला

उत्तर प्रदेश का जब भी जिक्र होता है तो इसके साथ ही यहां की संस्कृति, परंपराओं और समृद्ध इतिहास भी लोगों के जहन में घूमने लगता है। यह कई मायनों में खास है, यहां के शहरों की भी अपनी अलग-अलग खासियत हैं। उन्हीं शहरों में से एक है आंवला। आंवला एक छोटा शहर है, जो बरेली जिले की एक तहसील भी है। आंवला का इतिहास काफी पुराना और गौरवशाली है। कभी यह पांचाल राज्य का हिस्सा हुआ करता था। अहिचित्रा आंवला की राजधानी थी। कटेहरिया के राजाओं ने भी आंवला पर लगभग 500 सालों तक राज किया था। जिसके बाद रूहेलों ने आंवला को जीतकर इसे अपनी राजधानी बनाया। 2011 जनगणना के अनुसार यहां 367 गांव हैं। आंवला की जनसंख्या 55,629 हैं।

कैसे पड़ा नाम?

कहा जाता है कि पहले यहां बहुत ही ज्यादा मात्रा में आंवले के पेड़ हुआ करते थे, जिस वजह से इस जगह का नाम आंवला पड़ा। रुहेलों के शासन काल (1730-1774) में यहां 1700 मस्जिदें और 1700 कुएं हुआ करते थे। उस यह इतना खूबसूरत हुआ करता था कि लोग बुखारा से इसकी तुलना करते थे।

आंवला का रामनगर

यूपी के आंवला का रामनगर एक ऐतिहासिक स्थल है। यहां पर अहिक्षत्र का किला है। इस किले को भीम की गदा भी कहा जाता है। यहीं जैन धर्म के भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर है। यहीं उन्होंने तपस्या करके ज्ञान प्राप्त किया था।

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