इखलास खां रोजा! एक बेगम ने बनवाई थी ये इमारत, जानें क्यों कहलाता है बदायूं का ताजमहल

आपने आगरा का ताजमहल तो जरूर देखा होगा। प्रेम का प्रतीक यह इमारत बेहद खूबसूरत है। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश में एक और इमारत है, जिसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इस इमारत को किसी बादशाह ने नहीं, बल्कि एक बेगम ने अपने शौहर के लिए बनवाया था। आइए जानते हैं कहा हैं ये इमारत-

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बदायूं का ताजमहल है ये इमारत

प्रेम की इमारत की जब भी बात होती है, तो आगरा का ताजमहल याद आता है। यह एक बेहत ही खूबसूरत इमारत है, जिसे मुगल बादशाह ने अपनी बेगम के लिए बनवाया था। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक और इमारत है जिसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस इमारत को किसी बादशाह ने अपनी बेगम के लिए नहीं, बल्कि एक बेगम ने अपने शौहर के लिए बनवाया था। जी हां, मोहब्बत की मिसाल इस मकबरा को लोग एक बेगम की प्रेम की निशानी मानते हैं। तो आइए आज इस इमारत के बारे में जानते हैं।

यूपी का दूसरा ताजमहल

उत्तर प्रदेश में ही स्थित इस इमारत के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। इसे ताजमहल के तर्ज पर बनाया गया है। लोग इसे एक बेगम की प्रेम की निशानी मानते हैं। यह इखलास खां का मकबरा है। लेकिन, लोग इसे काला ताजमहल भी कहते हैं।

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बेगम ने शौहर क लिए बनवाई ये इमारत

ताजमहल को आगरा में मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। उसी तरह बदायूं शहर के मोहल्ला जवाहरपुरी में नवाब इखलास खां की बेगम महबूब ने इसका निर्माण कराया था। इस मकबरे को ककइया ईटों से तैयार किया गया है।

मुगलकाल की यादगार इमारत

यह मुगलकाल की एक यादगार इमारत है। लोग इसे इखलास खां के रोजा या मकबरा के नाम से जानते हैं। मकबरा इखलास खां को साल 1690 बनवाया गया था। इस इमारत की लंबाई 152 फुट और चौड़ाई 150 फुट है।

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जमीन से 6 फुट की ऊंचाई पर बना मकबरा

आपको बता दें कि इस इमारत को इखलास खां की बेगम ने उनकी याद में बनवाया था। जानकर हैरानी होगी कि यह जमीन से करीब छह फुट की ऊंचाई पर बनाया गया है। इतना ही नहीं, इस मकबरे में 5 कब्र हैं। जो इसी परिवार के लोगों की हैं। वहीं असली कब्र मकबरे के नीचे बनाई गई है। इसके ऊपरी हिस्से में कब्रों के ताबीज बने हैं।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे यहां कैद

इसके चारों कोनों पर मीनारें हैं और इसमें ऊपर चढ़ने के लिए मीनारे भी बनाई गई हैं। जिनमें ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियां भी बनी हैं। बदायूं के इस इमारत में 1857 में अंग्रेजों ने आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को इसमें कैद किया था।

इखलास खां की इमारत

आपको बात दें कि नवाब इखलास खां के पिता का नाम शेख इब्राहिम किश्वर खां था। इनके नाम पर ही यहां मोहल्ला इब्राहिम बसाया गया है, जो अब ब्राह्मापुर के नाम से जाना जाता है।

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Maahi Yashodhar author

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