दंगा करने वालों के खिलाफ उत्तराखंड में सबसे कठोर कानून, धामी सरकार ने दी मंजूरी
उत्तराखंड में दंगा करने वालों की अब खैर नहीं। राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने एक कठोर (अध्यादेश) कानून को मंजूरी दी है। अध्यादेश को राज्यपाल के पास भेज दिया गया है। इस कानून के अनुसार दंगा करने वाले से ही सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई की जाएगी।
उत्तराखंड में दंगाइयों की अब खैर नहीं
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धानी सरकार एक के बाद एक कड़े और ताबड़तोड़ फैसले ले रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने 'दंगारोधी' कानून को मंजूरी दी है। अब राज्य में दंगे होने पर नुकसान की पूरी भरपाई के लिए देश के सबसे कठोर (अध्यादेश) कानून को मंजूरी दे दी है।
इस कानून के तहत अब निजी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दंगाइयों से ही उसकी पूरी वसूली की जाएगी। यही नहीं दंगाई से और भी कड़ाई से निपटने के लिए 8 लाख रुपये तक का बड़ा जुर्माना भी लगाया जाएगा। इसके अलावा दंगा रोकने में सरकारी अमले और अन्य कार्य पर होने वाले खर्चे की भरपाई भी दंगाईयों से ही की जाएगी। धामी मंत्रिमंडल ने इस कानून को मंजूरी देकर राज्यपाल की स्वीकृति को भेज दिया है।
पुष्कर सिंह धामी की सरकार लगातार लिए जा रहे अपने कड़े फैसलों से सुर्खियों में है। राज्य में देश का सबसे बड़ा नकलरोधी कानून लागू किया गया है। समान नागरिक संहिता यानी UCC विधेयक को भी पुष्कर सिंह धानी सरकार मंजूरी दे चुकी है। अब दंगा रोकने व दंगाइयों से निपटने के लिए उत्तराखंड लोक (सरकारी) तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (अध्यादेश) कानून 2024 पर भी मुहर लगा दी गई है।
अब पछताएंगे दंगाई
अध्यादेश से राज्य में दंगा, फसाद, हड़ताल, बंद जैसे उपद्रव और अशांति के दौरान निजी व लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले अब बच नहीं पाएंगे। दंगाइयों को कानून के मुताबिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करनी पड़ेगी और इसके साथ ही उन्हें कड़ी सजा भी भुगतनी पड़ेगी। यही नहीं किसी का अंग-भंग होने पर दंगाई से ही इलाज का खर्च भी वसूला जाएगा।
दंगाइयों से सख्ती से निपटने के लिए सरकार ने विधिवत दावा अधिकरण (क्लेम ट्रिब्यूनल) गठित करने की भी मंजूरी दे दी है। ताकि कानून लागू होते ही ट्रिब्यूनल के जरिए दंगाइयों पर तेजी से नकेल कसी जा सके। दंगाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश 2024 के तहत कार्रवाई होगी। इसके लिए एडीएम श्रेणी के अधिकारी को दावा आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि क्लेम ट्रिब्यूनल में रिटायर्ड जज के अलावा अन्य सदस्यों को भी शामिल किया गया है।
वर्तमान में राज्य विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा है, ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 213 के खंड 1 से मिली शक्तियों का प्रयोग कर राज्यपाल के पास इस कानून को राज्य में लागू करने के अधिकार है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह कानून पूरे राज्य में लागू हो जाएगा।
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