उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग, Air Force ने झोंकी जान ; Supreme Court ने लिया संज्ञान
Uttarakhand Forest Fire : उत्तराखंड के जंगलों में भयानक आग लगी हुई है। अब तक आग की कुल 998 घटनाओं में 1316.12 हेक्टेयर जंगल क्षेत्र जलकर राख हो गया है। इस बड़ी घटना सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है।
उत्तराखंड के जंगलों में भयानक आग
Uttarakhand Forest Fire : उत्तराखंड़ इन दिनों आग की आगोश में है। पौड़ी गढ़वाल के पांच क्षेत्र और कुमाऊं में 55 क्षेत्रों में अभी तक आग का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इस भीषण वन अग्नि से अबतक 5 मौतें हो चुकी हैं। इसके अलावा वन्य जीव क्षेत्रों में आठ जगह जंगलों में आग लगी। इस दौरान 119.7 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया है। अब तक आग की कुल 998 घटनाओं में 1316.12 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। इस मसले को लेकर बुधवार यानी आज 8 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
नैनीताल बुरी तरह प्रभावित
नैनीताल वन प्रभाग के जंगलों में आज भी भीषण आग लगी हुई है। यहां आग बुझाने के लिए वायु सेना के हेलीकॉप्टर की भी मदद ली जा चुकी है, लेकिन अभी तक जंगल धधक रहे हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, नैनीताल वन प्रभाग में 29 जंगलों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं, इसमें करीब 35 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है।
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11 जिले प्रभावित
वन अपराधों में अब तक 389 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 329 अज्ञात व 60 नामजद मामले हैं। नोडल अफसर बनाए गए वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचने लगे हैं। दरअसल, अप्रैल के पहले हफ्ते से लगी आग से अब तक 11 जिले प्रभावित हैं। इसमें गढ़वाल मंडल के पौड़ी रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी ज्यादा प्रभावित हैं और देहरादून का कुछ हिस्सा शामिल है, जबकि कुमाऊं मंडल का नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ ज्यादा प्रभावित हैं। इस आग से भारी नुकसान का अनुमान है।
आग लगाने वालों पर केस
पौड़ी में जंगल की आग बुझाने के लिए वायुसेना की ओर से चलाया जा रहा ऑपरेशन मंगलवार से फिर शुरू हो गया है। ऑपरेशन के तहत वायुसेना ने एमआई-17 की मदद से पौड़ी के अदवाणी में आग बुझाने का काम शुरू कर दिया है। जिले में 150 से ज्यादा जगहों पर आग लगी हुई है। जंगलों में आग लगाने वाले कई लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जंगल की आग को काबू करने के लिए स्थानीय वन कर्मियों के साथ एसडीआरएफ और पीआरडी जवानों की मदद ली जा रही है। जंगलों में आग लगाने वाले कई लोगों पर केस किए गए हैं।
कहां कितनी भयावह आग
वनाग्नि के अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा के मुताबिक, कुमाऊं में सबसे ज्यादा जंगल जल रहे हैं। उत्तराखंड में आग की सबसे ज्यादा 111 घटनाएं पिथौरागढ़ वन प्रभाग में दर्ज हुई हैं। वहीं, चंपावत में 55, तराई ईस्ट में 90, रामनगर में 35, मसूरी में 46, गोपेश्वर में 58, रुद्रप्रयाग में 35, नैनीताल में 29 व केदारनाथ वाइल्डलाइफ डिवीजन के जंगलों में 56 बार आग लगी।
पर्यावरण को भारी नुकसान
पर्यावरणविद अजय रावत ने मीडिया को बताया कि आग के कारण नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत से लेकर मसूरी तक पूरा उत्तराखंड धुंध में डूब गया है। हिमालय के ग्लेशियरों के साथ जैव विविधता, पर्यावरण और इंसानी स्वास्थ्य के लिए भी इतनी धुंध और धुंआ ठीक नहीं है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन होता है। यानी फरवरी के मध्य से जंगलों में आग लगने की घटनाओं का क्रम शुरू हो जाता है, जो अप्रैल में तेजी से बढ़ता है। हालांकि, बारिश शुरू होते ही ये 15 जून तक धीरे-धीरे खत्म हो जाती हैं।
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