वंदे भारत एक्सप्रेस V/s वंदे मेट्रो : जानिए दोनों में क्या फर्क है, रूट, फ्रिक्वेंसी, स्पीड और बहुत कुछ

आपने अभी तक वंदे भारत एक्सप्रेस की सवारी नहीं की है तो आपने आधुनिक भारत की ट्रेन नहीं देखी है। जल्द से जल्द जरूर वंदे भारत एक्सप्रेस में सफर का आनंद लें। अब तो वंदे मेट्रो भी आने वाली है। यहां जानते हैं वंदे भारत एक्सप्रेस और वंदे मेट्रो में क्या फर्क है -

Vande Bharat Train vs Vande Metro.

वदे मेट्रो और वंदे भारत एक्सप्रेस में क्या है अंतर

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Vande Bharat Train) में भारतीय रेलवे (Indian Railways) का चेहरा ही बदल दिया है। इस ट्रेन के आने से न सिर्फ भारतीय रेलवे को खूबसूरती मिली है, बल्कि रफ्तार के भी नए आयाम गढ़े गए हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) से यात्रा में लगने वाले समय में भारी कमी आई है। वंदे भारत एक्सप्रेस सेमी हाईस्पीड ट्रेन (Semi High Speed Train) है और इसकी आरामदायक सवारी यात्रियों को अच्छी-खासी रास आ रही है। यही कारण है कि अब वंदे मेट्रो (Vande Metro) भी चलाए जाने की तैयारी है। उम्मीद की जा रही है कि जिस तरह से वंदे भारत एक्सप्रेस बड़े शहरों को जोड़ने और समय बचाने में भारतीय रेलवे के लिए गेम चेंजर साबित हुई है, उसी तरह वंदे मेट्रो भी नया इतिहास लिखेगी।
इस समय देश में 82 से ज्यादा वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं। इसके अलावा कई अन्य रूटों पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाए जाने का प्रस्ताव है। कई नए रूटों पर चुनाव के तुरंत बाद वंदे भारत ट्रेन चलाने के लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर जारी हैं। 8-10 घंटे की दूरी की शहरों को वंदे भारत एक्सप्रेस से जोड़ने के बाद वंदे भारत का स्लीपर कोच (Sleeper Vande Bharat Train) भी चलाया जाएगा और अब वंदे मेट्रो की तैयारी है।

वंदे मेट्रो क्या है

वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत ट्रेन-18 के तौर पर हुई थी। वंदे भारत एक्सप्रेस की सफलता के बाद अब इसका छोटी दूरी के लिए नया वर्जन वंदे मेट्रो शुरू किया जा रहा है। वंदे मेट्रो का मकसद उपनगरीय दूरी को कम करने और यात्रा को सुगम बनाना है। इसका मकसद उपनगरीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जल्द से जल्द उनके गंतव्य तक पहुंचाना और सस्ते टिकट में शटल जैसी सुविधा उपलब्ध कराना है। वंदे मेट्रो के नेटवर्क से देश के करीब 124 शहरों को कनेक्ट किया जाएगा। वंदे मेट्रो ऐसे शहरों के बीच चलाई जाएगी, जिनकी दूरी 100 से 250 किमी के बीच है। इससे इंटरसिटी और इंट्रा सिटी दोनों तरह की सुविधाएं मिलेंगी।

इन रूटों पर चलेगी वंदे मेट्रो

वंदे मेट्रो के लिए कुछ रूट तय हो रहे हैं। वंदे मेट्रो का ट्रायल इसी साल जुलाई में शुरू हो जाएगा और प्लान है कि इसके तुरंत बाद वंदे मेट्रो को यात्रियों के लिए खोल दिया जाएगा। अभी जिन रूटों पर वंदे मेट्रो चलाए जाने का प्रस्ताव है, उनमें दिल्ली से रेवाड़ी (Delhi Rewari), आगरा से मथुरा (Delhi-Mathura), लखनऊ से कानपुर (Lucknow-Kanpur), भुवनेश्वर से बालासोर (Bhuvneswar-Balasore) और तिरुपति से चेन्नई (Thirupati-Chennai) हैं। वंदे मेट्रो का प्रोटोटाइप रेल कोच फैक्टरी (RCF) कपूरथला, पंजाब में तैयार किए जा रहे हैं।
वंदे भारत एक्सप्रेस और वंदे मेट्रो दोनों ही यात्रा का समय बचाने के लिए तैयार की गई हैं। इसके बावजूद दोनों में कुछ फर्क (Difference between Vande Bharat Express vs Vande Metro) भी हैं, चलिए जानते हैं दोंने में क्या अंतर है -
रूट का फर्क - वंदे भारत एक्सप्रेस और वंदे मेट्रो दोनों में सबसे बड़ा फर्क को रूट का ही है। जहां एक ओर वंदे भारत एक्सप्रेस लंबी-दूरी के ऐसे शहरों के बीच चलाई जाती है, जिनकी दूरी 8-10 घंटे में पूरी हो जाए। वहीं वंदे मेट्रो को छोटी दूरी के शहरों के बीच चलाया जाएगा। इसके अलावा वंदे मेट्रो दो शहरों को जोड़ेगी, जबकि वंदे भारत एक्सप्रेस दो बड़े शहरों के बीच कई शहरों से होकर गुजरती है।
फ्रिक्वेंसी का फर्क - वंदे भारत एक्सप्रेट ट्रेन आमतौर पर दो शहरों के बीच एक दिन में एक ही चलती है। दोनों शहरों से एक-एक वंदे भारत एक्सप्रेस चलती है। वहीं वंदे मेट्रो शटल की तरह चलेगी और दोनों शहरों के बीच दिन में 4-5 बार चलेगी। वंदे मेट्रो से रोज नौकरी आदि के लिए एक शहर से दूसरे शहर तक सफर करने वालों को मदद मिलेगी।
ट्रेन का साइज - वंदे मेट्रो और वंदे भारत एक्सप्रेस दोनों में ही 12 से 16 तक कोच होंगे, लेकिन दोनों के कॉन्फिग्रेशन में दिक्कत होगी। जहां वंदे भारत एक्सप्रेस में सभी सवारियों के लिए आरामदायक सीटें होती हैं, वहीं वंदे मेट्रो में कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार करीब 100 यात्रियों के बैठने के लिए सीट होंगी और 180 यात्री खड़े हो सकेंगे।
स्पीड में भी है फर्क - वंदे भारत एक्सप्रेस जहां 183 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भाग सकती है, जबकि वंदे मेट्रो की टॉप स्पीड 130 किमी प्रति घंटे तक ही होगी।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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