बुलेट ट्रेन कॉरिडोर पर चलेगी वंदे भारत एक्सप्रेस! फिर Bullet Train के सपने का क्या होगा?
वंदे भारत ट्रेनों ने देश में रेलवे की सूरत बदलकर रख दी है। लेकिन यह इतनी फास्ट नहीं हैं कि बुलेट ट्रेन से मुकाबला कर सकें। बड़ी बात यह है कि अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में भी वंदे भारत ट्रेन चलाने की तैयारी है। ऐसे में प्रश्न ये है कि बुलेट ट्रेन का क्या होगा?
बुलेट ट्रेन के रूट पर चलेगी वंदे भारत ट्रेन
देश के लोगों को बड़ी ही बेसब्री से देश की पहली बुलेट ट्रेन का इंतजार है। अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का दौरा किया था और इसी प्रगति को संतोषजनक भी बताया था। अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली देश की पहली बुलेट ट्रेन का एक हिस्सा समुद्र के नीचे बनाया गया है। यहां हवा से बातें करती हुई बुलेट ट्रेन समुद्र के नीचे चलेगी। लेकिन खबर है कि अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन ट्रैक पर मेक इन इंडिया वंदे भारत ट्रेन चलाई जा सकती है।
बुलेट ट्रेन के सपने का क्या होगा?
ऐसे में आपका प्रश्न भी वही होगा, जो देश के कई अन्य लोगों का है। बुलेट ट्रेन के सपने का क्या होगा? चिंता की बात हीं है, बुलेट ट्रेन का सपना जिंदा है और इस ट्रैक पर बुलेट ट्रेन भी चलेगी, लेकिन जब तक बुलेट ट्रेन नहीं आ जाती तब तक टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वंदे भारत ट्रेन चलाई जा सकती है।
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खबर है कि भारत की पहली हाई-स्पीड मुंबई-अहमदाबाद ट्रेन कॉरिडोर के लिए जापानी शिंकनसेन बुलेट ट्रेनों की खरीद सौदे को अंतिम रूप देने में काफी देर के बीच रेल मंत्रालय ने एक सिग्नलिंग प्रणाली के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। इस सिग्नलिंग प्रणाली की मदद से इस रूट पर वंदे भारत ट्रेनों को 280 किमी प्रति घंटे की अधिकतम स्पीड से चलाया सकेगा।
वंदे भारत ट्रेन
तस्वीर साभार : Twitter
2033 से पहले बुलेट ट्रेन चलना संभव नहीं!
रेल मंत्रालय ने पहले दावा किया था कि जब अगस्त 2026 में सूरत-बिलिमोरा बुलेट ट्रेन सेक्शन की शुरुआत होगी तो यह जापानी शिंकनसेन ट्रेनों के साथ ही शुरू होगी। लेकिन अब यह भी साफ हो गया है कि जापानी शिंकनसेन हाई-स्पीड ट्रेनें साल 2030 से पहले भारत को मिलना संभव नहीं है। सूत्रों के अनुसार इस तरह से अहमदाबाद-मुंबई के पूरे बुलेट ट्रेन रूट पर साल 2033 से पहले बुलेट ट्रेन चलाने का सपना पूरा होना मुश्किल है। बता दें कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की नींव सितंबर 2017 में रखी ई थी।
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इस बात पर मुहर तब लगी, जब नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHSRCL) ने पिछले सप्ताह ही इस रूट पर वंदे भारत ट्रेनें लाने के सिग्नलिंग सिस्टम के वास्ते टेंडर मंगवाए। वंदे भारत ट्रेनों को अभी भारत की अपनी बुलेट ट्रेनों के रूप में तैयार किया जा रहा है। यह सेमी-हाईस्पीड ट्रेनें 280 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं। टेंडर डॉक्यूमेंट के अनुसार बोली प्रक्रिया में विजेता को सिग्नलिंग और ट्रेन कंट्रोल सिस्टम को डिजाइन करने के साथ ही बनाना, सप्लाई करना और इंस्टॉल करने के साथ ही मैनटेन भी करना होगा। यह सिग्नलिंग सिस्टम यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ETCS) लेवल-2 होगा, जो जापानी DS-ATC सिग्नलिंग से अलग होगा, जो शिंकनसेन ट्रेनों के लिए जरूरी है।
2027 में बुलेट ट्रेन रूट पर चलेगी वंदे भारत!
2030 से पहले नहीं मिलेगी बुलेट ट्रेन
तस्वीर साभार : Twitter
ETCS-2 का कॉन्ट्रैक्ट पीरियड काम सौंपे जाने के बाद सात साल के लिए होगा। सूत्रों के अनुसार बुलेट ट्रेन इंफ्रास्ट्रक्चर के बेहतहर इस्तेमाल के लिए ETCS-2 का डिप्लॉय किया जाएगा। इसके तहत योजना यह है कि साल 2027 में इस रूट पर वंदे भारत ट्रेनों का कॉमर्शियल ऑपरेशन शुरू हो सके। एक सूत्र ने कहा कि इतनी लागत से बनने वाले प्रोजेक्ट को जापान से मिलने वाली ट्रेनों के इंतजार में सालों तक बिना इस्तेमाल के यूं ही रखने का कोई फायदा नहीं है।
जब इस रूट पर वंदे भारत ट्रेनों का संचालन होगा, उस समय भी यहां शिंकनसेन ट्रेनों के लिए जापानी सिग्नलिंग सिस्टम को इंस्टॉल किया जा सकता है। बुलेट ट्रेनों के एडवांस वर्जन E-10 सीरीज को 2030 या उसके बाद इंट्रोड्यूस किया जाएगा और भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से ठीक होने पर इन्हें भारत लाया जाएगा। प्लान के मुताबिक एक बार जब शिंकनसेन ट्रेन इस रूप पर पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएंगी तो वंदे भारत ट्रेनों के इस एडवांस वर्जन और ETCS को दूसरे प्रोजेक्ट पर शिफ्ट कर दिया जाएगा।
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Digpal Singh author
खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्...और देखें
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