Varanasi: बड़ा मशहूर है बनारस का मालपुआ, एक बार खाया तो बार-बार होगी तलब

Varanasi Famous Food Malpua: जिस शहर के नाम में ही रस है, सोचिए उस बनारस में खाने-पीने के सारे स्वादिष्ट विकल्प मौजूद होंगे। मिठाई के मामले में इस शहर का कोई दूसरा तोड़ नहीं है। जलेबी, लौंगलत्ता और सबसे अद्भुत है यहां का मालपुआ। मालपुए के कई सारे किस्से हैं, मगर एक बार आपने इस मिठाई को खा लिया तो मन प्रसन्न हो उठेगा।

बनारस की मिठाइयों में मालपुआ का कोई तोड़ नहीं है।

Banaras Ka Malpua: कचौड़ी, जलेबी, मलइयो, आलूचाप, सकौड़ा, लौंग लत्ता, गोल गप्पा, चाट और न जाने कितने हजारों विकल्प... इन सबमें सबसे अद्भुत स्वाद है बनारस के मालपुए के। बनारस की हर गली में मालपुआ मिलता है, इसका स्वाद इतना जबरदस्त होता है कि खाने के बाद ये महसूस होगा कि इससे पहले इतनी दमदार मिठाई पहले कभी नहीं खाई थी। स्वाद तो ऐसा है जैसे दुनिया की कोई दूसरी मिठाई इससे मुकाबला ही नहीं कर पाएगी।

बनारस की मिठाइयों में मालपुआ का जवाब नहीं

वैसे तो काशी की खूबसूरती, संस्कृति, सभ्यता और यहां का अल्हड़पन ही लोगों को इस शहर का दीवाना बना देती है। मगर कोई बनारस आए और यहां के खाने का दीवाना न हो, ये लगभग नामुकिन है। चटर पटर खाने के साथ-साथ अद्भुत मिठाइयों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है, मगर इसमें मालपुआ का जिक्र सबसे ऊपर है। कहा जाता है कि बनारस में मालपुए को सिर्फ लौंगलत्ता ही टक्कर दे सकता है। दोनों की अपनी-अपनी खूबियां हैं, टाइम नाउ नवभारत डिजिटल की टीम बनारस में मालपुआ की हकीकत जानने पहुंची। बनारस का मालपुआ अगर इतना फेमस और टेस्टी है तो क्यों न इसका स्वाद भी चख लिया जाए और ये बात भी सामने लाया जाए कि वाकई मालपुआ स्वादिष्ट है या फिर सारे दावे हवा-हवाई ही हैं।

मालपुआ की सच्चाई जानने के लिए की जमीनी पड़ताल

वाराणसी कैंट के पास लोगों से बात की और पूछा कि सबसे स्वादिष्ट मालपुआ पूरे बनारस में कहां मिलता है? इसके जवाब में एक रिक्शेवाले ने बोला, 'कहीं का खा लीजिए, सब जगह मजा आएगा। मालपुआ में जादू है, आप खाकर पगला जाएंगे।' ये जवाब सुनकर हम भौचक्के रह गए और हमने एक ठेठ बनारसी जो मुंह में पान दबाकर मजा ले रहा था, उससे भी यही सवाल पूछा। उन्होंने अपना नाम विक्की बताया, जिनकी कैंट के पास ही लाउड्री की दुकान थी। विक्की ने बोला 'भाई साहब, अगर आपको पुराने जमाने वाला स्वाद पाना है तो आप सीधा गोदौलिया चले जाइए या फिर मैदागिन, चौक, काशी स्टेशन या लहुराबीर चले जाइए।' हमने उनकी बात मानी और ऑटो पकड़कर हम सीधे गोदौलिया पहुंच गए। वहां जितनी मिठाई की दुकानें थीं, सभी के पास मालपुआ बिक रहे थे। हम भी उसे खाने के लिए बेकरार थे।

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